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नरेंद्र मोदी के चार दोस्त जो बिछड़ गए, फिर मिलेंगे अयोध्या में और दूरियां होंगी खत्म

देश के प्रधानमंत्री बनने से पहले से नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहे हैं। उसके पहले वह भाजपा और संघ परिवार की योजना से संगठन मंत्री सहित अन्य पदों पर कार्य करते रहे। संगठन का काम करते समय से लेकर छात्र जीवन तक उनके कुछ गहरे दोस्त बने लेकिन वक्त के साथ दूरियां भी बढ़ गई।

राममंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही कुछ ऐसा होने वाला है जिसकी जानकारी कम ही लोगों को है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गहरे दोस्त भी इस अवसर पर जुट रहे हैं, जो पिछले दो दशकों से दूर-दूर हैं। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र के बुलावे पर विश्व हिंदू परिषद के पूर्व अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष रहे डॉ प्रवीण भाई तोगडिय़ा आ रहे हैं। हांलाकि गुरुग्राम में सम्पन्न एक बैठक के बाद तोगडिय़ा को विहिप से पदमुक्त कर दिया गया था जिसके बाद उन्होंने अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद का गठन कर लिया था। जिसके बाद तोगडिय़ा का संघ परिवार से भी दूरी बढ़ गया था। लेकिन अब यह दूरी खत्म होने की उम्मीद की जा रही है।
अयोध्या 22 जनवरी को आने से पहले तोगडिय़ा गोरखपुर पहुुंचेगे। 15 जनवरी को गोरखपुर से अयोध्या तक वह राम लला धन्यवाद यात्रा निकालेंगे। इस दौरान वह रामभक्तों को संबोधित भी करेंगे। पेशे से कैंसर सर्जन रहे डॉ प्रवीण भाई तोगडिय़ा कभी नरेंद्र मोदी के गहरे दोस्त हुआ करते थे। लेकिन वक्त के साथ और संगठन के कार्यो के चलते दोस्ती में दरार आ गई। बाद में तोगडिय़ा और मोदी के बीच दूरियां बढ़ती गई। जो अब खत्म होने की उम्मीद की जा रही है।
कौन-कौन संघ परिवार में रहा है मोदी का दोस्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता रहे हैं। इसके बाद वह प्रचारक जीवन अपना लिए थे और बाद में भारतीय जनता पार्टी के संगठन के कार्यो में सक्रिय हो गए थे। संघ की शाखा में जाते हुए नरेंद्र मोदी के दोस्तों में डॉ प्रवीण भाई तोगडिय़ा, संजय भाई जोशी, लालजी भाई पटेल और स्वर्गीय अरुण जेटली गहरे दोस्त रहे हैं। जिसमें डॉ प्रवीण भाई तोगडिय़ा विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष हो गए। जबकि संजय जोशी संघ के प्रचारक रहते हुए भाजपा के संगठन मंत्री बनाए गए। जबकि लालजी भाई पटेल गुजरात में संघ का कार्य करते रहे और बाद में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय पदाधिकारी के रुप में अनेक जिम्मेदारियों का वहन करते रहे हैं।

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