फरीदाबाद, महर्षि दयानंद सरस्वती जी की 200 वीं जयंती के उपलक्ष में योग शिक्षक रत्न सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। सेक्टर 16ए स्थित राजकीय महाविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में योग के क्षेत्र में कार्य कर रहे 135 योग शिक्षकों को योग शिक्षक रत्न सम्मान अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित सरदार प्रितपाल अहलूवालिया, विजयपाल चंदीला, मंगेश त्रिवेदी अध्यक्ष अखिल भारतीय योग शिक्षक संघ, डॉक्टर नरेंद्र चौधरी प्रिंसिपल गवर्नमेंट कॉलेज वूमेन सेक्टर 16ए, श्रीमती इंदिरा सक्सेना डीपीई गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल भुपानी आदि ने महर्षि दयानंद सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह का आयोजन डॉ बलराम आर्य, प्रवीण गेरा, वंदना सिंगला, प्रियंका सिन्हा, अरिंदम मित्रा, संजीव पाठक, श्याम आर्य आदि द्वारा किया गया। इस अवसर पर सरदार गुरुप्रसाद सिंह पूर्व सदस्य, हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी एवं खेल विभाग हरियाणा के डिप्टी डायरेक्टर अर्जुन अवार्डी गिरिराज सिंह ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती आधुनिक भारत के चिंतक तथा आर्य समाज के संस्थापक थे। उन्होंने वेदों के प्रचार के लिए मुंबई में आर्य समाज की स्थापना की। आज उनकी जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में योग शिक्षकों को सम्मानित कर योग को बढ़ावा देने का काम किया है। समाजसेवी टोनी पहलवान एवं सुनील कुमार ने कहा कि महर्षि दयानंद ने हमें वेदों की महत्ता के बारे में बताया। आज उनकी शिक्षा के चलते ही भारतवर्ष में वेदों के महत्व का प्रचार प्रसार हुआ। उन्होंने कर्म, सिद्धांत, पुनर्जन्म और सन्यास को अपने दर्शन का स्तम्भ बनाया। टोनी पहलवान ने कहा कि जिस प्रकार हमारे देश में डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, उसी प्रकार योग शिक्षक भी योग के माध्यम से लोगों को स्वस्थ्य जीवन देने का काम करते हैं। इसलिए हमें योग शिक्षकों को भी समाज में उच्च दर्जा देना चाहिए।