गुरुग्राम। धर्म व मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले सिख धर्म के 9वें गुरु तेग बहादुर का पुण्यतिथि (बलिदान दिवस) शहर के विभिन्न गुरुद्वारों में मनाई गई। गुरुद्वारों में शबद कीर्तन व अखंड पाठ का भी आयोजन किया गया। सिख समुदाय के ही नहीं, अपितु अन्य समुदाय के लोगों ने भी गुरुद्वारा पहुंचकर अरदास की। पूरे दिन ही गुरुद्वारों में श्रद्धालुओं का आना-जाना लगा रहा। समुदाय के लोगों का कहना है कि गुरु तेग बहादुर सिख धर्म के नौवें गुरु थे। उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। वे प्रेम, त्याग और बलिदान के सर्वोच्च प्रतीक हैं। विश्व इतिहास में धर्म और मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धांत की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय रहा है। गुरु तेग बहादुर का जन्म पंजाब के अमृतसर में गुरु हरगोबिन्द साहिब जी के घर हुआ था। बचपन में उनका नाम त्यागमल था। वे बाल्यकाल से ही धार्मिक, निर्भीक, विचारवान और दयालु स्वभाव के थे।गुरु तेग बहादुर मानवीय धर्म एवं वैचारिक स्वतंत्रता के लिए अपनी महान शहादत देने वाले एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। उन्होने धर्म के प्रचार और प्रसार के लिए कई जगहों की यात्राएं की। वर्ष1675 में धर्म की रक्षा के लिए गुरु तेगबहादुर ने अपना बलिदान दिया था। मुगल बादशाह औरंगजेब ने गुरु तेग बहादुर को मौत की सजा सुनाई थी क्योंकि गुरु तेग बहादुर ने इस्लाम धर्म को अपनाने से इंकार कर दिया था। इसके बाद मुगल बादशाह के आदेश पर सबके सामने गुरु जी का सिर कलम कर दिया गया था। उनका कहना है कि दिल्ली स्थित गुरुद्वारा शीश गंज साहिब और गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब उनके सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक स्थल हैं। गुरु तेगबहादुर की याद में उनके शहीदी स्थल पर जो गुरुद्वारा बना है, उसे गुरुद्वारा शीश गंज साहिब के नाम से जाना जाता है। साईबर सिटी के विभिन्न क्षेत्रों स्थित गुरुद्वारों में गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई।