गुरुग्राम आजादी के कई दशकों बाद 1990 के दशक की शुरुआत में भारत में निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलना शुरु हुआ। भारत ने स्वयं को मिश्रित अर्थव्यवस्था में बदलना शुरू कर दिया। लेकिन इसकी गति बेहद धीमी थी और भ्रष्टाचार हावी था। लेकिन 2014 के मध्य में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यभार संभाला था, उस समय तक एक मजबूत केंद्रीय शासन की कमी के कारण देश के हालात में कई उतार चढ़ाव आए। जिसके बाद साल 2014 में तब देश को एक साहसिक और निर्णायक नेतृत्व मिला। जिसने दीर्घकालिक लक्ष्य निर्धारित किए और दृढ़ निर्णय लेना शुरु किया। जिसका सुखद नतीजा सामने आया। कुछ ही वर्षों में भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था का तमगा हासिल कर लिया। आज 3.37 मिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ, भारत को पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है। जहां तक देश के रक्षा और प्रौद्योगिकी संबंधी निर्यात का संबंध है, इसने पिछले वर्ष लगभग 13000 करोड़ रुपये के उच्चतम आंकड़े को छू लिया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना और पांच साल पहले की तुलना में लगभग आठ गुना अधिक है। यह उपलब्धियां तब हासिल की गईं, जब मौजूदा सरकार के सत्ता में आने के सात साल के भीतर ही दो साल के लिए कोविड प्रतिबंध लग गए। पूरे संसार में काम काज ठप हो गया। तो फिर भारत को यह उपलब्धि आखिर कैसे हासिल हुई? देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का विचार दिया। जो कि भारत की इस बड़ी उपलब्धि के पीछे का एकमात्र कारण है। खास तौर पर रक्षा क्षेत्र, जिसमें विकास की असीम संभावना थी। उस पर विशेष रुप से ध्यान दिया गया। रक्षा उत्पादन शुरु में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के अधीन था। लेकिन उसे निजी क्षेत्र की भारतीय कंपनियों के लिए खोल दिया गया। इस क्षेत्र में बड़े कदमों के तहत रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 को संशोधित किया गया। रक्षा विनिर्माण के लिए निवेश और प्रौद्योगिकी को आकर्षित करने पर जोर दिया गया। रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा बढ़ाकर 74 फीसदी तक कर दी गई। नई रक्षा औद्योगिक लाइसेंस की मांग करने वाली कंपनियों को बढ़ावा दिया गया। देश में आधुनिक तकनीक लाने में सक्षम कंपनियों को प्रश्रय दिया गया। रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग ने रक्षा में मेक इन इंडिया के अवसर के लिए नामक एक पोर्टल भी लॉन्च किया है। क इन इंडिया की वजह से भारत हथियारों के सबसे बड़े आयातक की बजाए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक उभरते हुए प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में जाना जाने लगा है। जो कि अपने लिए हथियार बनाता है और उसे बेचता भी है। हमारा हथियारों का आयात दिन पर दिन कम होता जा रहा है।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 30 सितंबर 2022 को दिल्ली में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री पीएचडी-सीसीआई के 117 वें वार्षिक सत्र को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने भारतीय रक्षा उद्योग में नए निवेश करने और अनुसंधान तथा विकास पर अधिक जोर देने का आह्वान किया।
रक्षा के क्षेत्र में प्रधानमंत्री बना रहे हैं भारत को आत्मनिर्भर
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