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बांग्लादेश में शेख हसीना की वापसी, 5वीं बार फिर बनेंगी पीएम, महज़ 40 प्रतिशत हुई वोटिंग

ढाका : बांग्लादेश के चुनाव में प्रधानमंत्री शेख हसीना ने पांचवें कार्यकाल के लिए जीत दर्ज की है। बता दें कि चुनाव से पहले नवंबर में विपक्षी दल बीएनपी ने चुनाव का बायकॉट किया था। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को दो-तिहाई बहुमत मिली है। वहीं किसी राजनीतिक दल की जगह निर्दलीय उम्मीदवारों ने बाजी मारी है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने जहां 222 सीटें जीतीं वहीं निर्दलीय उम्मीदवारों को 63 सीट पर कामयाबी मिली। बांग्लादेश चुनाव आयोग के मुताबिक, इस बार चुनाव में 40 प्रतिशत वोटिंग हुई है। यह आंकड़ा बदल भी सकता है। बता दें कि 2018 में हुए चुनाव में 80% मतदान हुए थे।

ऐसे की थी राजनीतिक पारी की शुरुआत

शेख हसीना का जीतना भारत के नजरिये से बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उनके सत्ता में रहते न सिर्फ भारत-बांग्लादेश के रिश्तों में सुधार हुआ बल्कि आर्थिक, कूटनीतिक और सामरिक रिश्ते भी नई ऊंचाई पर पहुंचे हैं। आपको बता दें कि शेख हसीना पहली बार Student Politics के जरिए सियासी मैदान में उतरीं। 1966 में जब वह ईडन महिला कॉलेज में पढ़ाई कर रही थीं, तब उन्होंने स्टूडेंट यूनियन का चुनाव लड़ा और वाइस प्रेसिडेंट बनीं। इसके बाद वह अपने पिता की पार्टी आवामी लीग के स्टूडेंट विंग को संभालने लगीं। यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका में भी छात्र राजनीति में निरंतर अपनी भूमिका निभाती रहीं।

जब सेना के कब्जे में रहा था बांग्लादेश

साल 1971 में बांग्लादेश एक अलग देश बना। इससे पहले यह इलाका पूर्वी पाकिस्तान के नाम से जाना जाता था और यहां पाकिस्तानी सरकार की चलती थी। इस नए देश के पहले नेता शेख मुजीबुर्रहमान थे, लेकिन मुजीब रहमान को सत्ता में आए कुछ ही साल हुए थे कि देश की स्थिति खराब होने लगी। इसी बीच कम्युनिस्ट आंदोलन के दौरान शेख की सरकार की सत्ता पलट दी गई। साल 1975 में सेना ने शेख मुजीबुर्रहमान के पूरे परिवार की हत्या कर दी थी, लेकिन शेख हसीना और उनकी बहन रेहाना बच गईं क्योंकि वह उस वक्त जर्मनी में थीं। बांग्लादेश अगले 15 सालों तक सेना के कब्जे में रहा।

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