तावडू, चैत माह में नवरात्र के चौथे दिन शनिवार को माता के चौथे स्वरूप मां कुष्माण्डा की पूजा अर्चना की गई। शहर व क्षेत्र में माता मन्दिरों सहित अन्य मन्दिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। वहीं माता मन्दिरों को फूल मालाओं व रंग बिरंगी लाईटों से सजाया संवारा हुआ है। मन्दिरों के बाहर पूजा अर्चना के सामान खरीददारी करने व पुष्प माला आदि खरीदने वालों की भी भीड़ लगी रही। उल्लेखनीय है कि माता कुष्माण्डा के बारे में बताया जाता है कि जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, चारों ओर अंधकार ही अंधकार था, तब मां कुष्माण्डा अपने हास्य से ब्राहाम्ड की रचना की थी। कुष्माण्डा मां ही सृष्टि की आदि स्वरूपा आदी शक्ति है। मां कुष्माण्डा प्रकृति और पर्यावरण की अधिष्ठात्री है। कुष्माण्डा देवी की आराधना के बिना जप और ध्यान सम्पूर्ण नहीं होते। मां का वाहन सिंह है, मां की उपासना करने से भक्तों के समस्त रोग नष्ट हो जाते है। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल व आरोग्य की वृद्धि होती है। शहर के मुख्य मार्ग पर जयभारत रामलीला मैदान में वैष्णों माता मन्दिर व मुख्य बाजार में स्थित माता मन्दिर तथा जटवाडा मौहल्ला में स्थित प्राचीन देवी भवन सहित अन्य मन्दिरों में नवरात्र महोत्सव को लेकर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। श्रद्धालुओं ने माता की श्रद्धापूर्वक पूजा अर्चना कर उपवास किया।