प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और पूर्व ईडी चीफ संजय मिश्रा को भाजपा द्वारा उत्तर प्रदेश की इस सीट से चुनाव लड़ाने की अटकलें काफी तेज हैं। ऐसे में उस सीट के अन्य दावेदारों की भी सासें अटकी हुई हैं।
लोकसभा चुनाव का लेकर हर एक सीट को लेकर सभी दल और नेता अपनी अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं। उत्तर प्रदेश की ५१ सीटों पर भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर दी है। बची हुई सीटों के लिए लगातार मंथन जारी है। उन सीटों पर पार्टी के तमाम दावेदार टिकट के लिए दिल्ली का चक्कर काट रहे हैं। उन्हीं में से एक सीट इलाहाबाद की भी है। जहां पर कई नेता भाजपा से दावेदारी के चक्कर में लगे हैं। इसी बीच में अटकलें यह भी चल रही हैं कि इलाहाबाद सीट से भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और पूर्व ईडी चीफ संजय मिश्रा को मैदान में उतार सकती है। संजय मिश्रा को इलाहाबाद से चुनाव लडऩे की सुगबुगाहट ने कई नेताओं की नींद उड़ा दी है। इनमें वो शामिल है जो हर हाल में भाजपा के टिकट पर इलाहाबाद से चुनाव लडऩा चाहते थे।
संजय मिश्रा ने ईडी चीफ थे, और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी होने के साथ साथ उनका चहेता भी माना जा रहा है। संजय मिश्रा का घर इलाहाबाद ससंदीय क्षेत्र के मेजा तहसील अंतर्गत छतवा सिरसा में है। हांलाकि वो पिछले लगभग चार दशक से अपने गांव और जिले से दूर रहे। उनका नाम आने के बाद यहां के लोगों ने उनके बारे में पता करने का प्रयास किया और जानकारी मिली कि वो नौकरी के बाद से ही गांव से काफी दूर हो गए थे।
ये भी हैं इलाहाबाद सीट से भाजपा के दावेदार
इलाहाबाद लोकसभा सीट से भाजपा के लिए कई नेता दावेदारी कर रहे हैं। जिनमें सांसद रीता बहुगुणा जोशी, भाजपा की पूर्व विधायक नीलम करवरिया, पूर्व महापौर अभिलाषा गुप्ता, योगेश शुक्ला, संगम मिश्रा, कमलेश त्रिपाठी, भगवत पांडेय आदि नेताओं का नाम शामिल है। संजय मिश्रा का नाम आने से इन सभी दावेदारों की धडक़ने भी बढ़ गई हैं।
सांसद रीता जोशी के टिकट पर संकट
इलाहाबाद सीट की सांसद रीता जोशी के टिकट पर संकट की भी बात कही जा रही है। सूत्रों के अनुसार भाजपा इस बार रीता जोशी को इलाहाबाद सीट से चुनाव लड़ाने के मूड में नहीं है। यह चर्चा पहले से ही है कि इस बार इलाहाबाद सीट पर नया प्रत्याशी मैदान में उतरेगा। वहीं सपा द्वारा इस सीट को समझौते के तहत कांग्रेस को दे दिया गया है। जिसके कारण इस सीट पर सपा की राह और भी आसान मानी जा रही है। माना जा रहा है कि अमिताभ बच्चन के बाद कभी भी इस सीट पर कांग्रेस को जीत नहीं मिल सकी है।