गुरूग्राम। हिन्दू धर्म में भाई दूज का विशेष महत्व हैं यह भाई बहन के बंधन के बीच स्नेह को मजबूत करता है। हिन्दू पंचाग के अनुसार कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की ़ि़द्वतिया तिथि को भाई दूज का त्यौहार मनाया जाता है। देश के कुछ हिस्सों में यह त्यौहार मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस व गोर्वधन की तरह कई जगह भाई दूज भी दो दिन मनाया जा रहा है। आमतौर पर तो यह त्यौहार दिवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है, लेकिन इस साल दिवाली के तीन दिन बाद यह त्यौहार मनाया जा रहा है। ऐसे में यह त्यौहार 27 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। इस दिन बहन भाई दूज की कथा सुनती है और भाई के लिए लंबी आयु की कामना करती है। इसी के साथ भाई भी अपनी बहन की रक्षा का वादा करता है। यह पर्व भाई बहन के प्रेम का प्रतीक है। धार्मिक कथाओं के अनुसार सबसे पहले यमराज अपनी बहन यमुना के घर आए थे । यमुना ने यमराज की आरती उतारी और यमराज को तिलक किया था तभी से यह पंरपरा चली आ रही है। इस त्याहौर को पूरे भारत में अलग अलग नामों से जाना जाता है जैसे भाई दूज, भाउ दूज, भतरा द्वितिया, भथरू द्वितिया, भाई फोटा। तिलक का शुभ महुर्त ज्योतिषों के अनुसार भाई दूज पर्व मनाने का शुभ महुर्त बुधवार दोपहर 2;34 बजे से शुरू होकर गुरूवार दोपहर 1;18 से 3;30 तक रहेगा।
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