पॉलिटिक्स

गीता प्रेस ने अबतक 1621 लाख श्रीमद भगवत गीता का प्रकाशन किया

Geeta Press Gorkhpur

खिलाफत और असहयोग आंदोलन के दौर में ही 1923 गीता प्रेस का आरंभ हुआ था। तब से आज तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री होंगे जो गीता प्रेस आ रहे हैं। हांलाकि गीता प्रेस आने वालों में दो राष्ट्रपति और अनेक देश-विदेश की हस्तियां रही हैं।

गीता प्रेस अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है जिसकी शुरूआत पिछले साल पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने किया था। मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं जो गीता प्रेस पहली बार आ रहे हैं, जबकि उनके पहले पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद गीता प्रेस आ चुके हैं। इतना ही नहीं, मेट्रौ मैन श्रीधरन भी गीता प्रेस आ चुके हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर से लेकर कई सरसंघचालक और अनेक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी गीता प्रेस आते रहे हैं। पहली बार प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर यहां पर जोरशोर से तैयारियां की जा रही है। हिंदू धर्म का कल्चर पॉवर हाउस कहे जाना वाला गीता प्रेस का भवन लाल सफेद और पीले रंग से खूबसूरती से सजाया गया किसी मंदिर जैसा लगता रहा है। सौ साल पूरे कर चुके गीता प्रेस के लिए प्रधानमंत्री का आगमन एक खास मौका है, जिसके लिए तैयारियां जोर शोर से चल रही है। यहां पर साज-सज्जा से लेकर फर्श को चमकाने और फूलों की क्यारियों को ठीक करने का काम चल रहा है।

गीता प्रेस का कब हुआ आरंभ
देश में खिलाफत और असहयोग आंदोलन का दौर था उसी समय गीता प्रेस की स्थापना 1923 में हुई थी। मारवाड़ी व्यापारी जयदयाल गोयंदका ने इसकी स्थापना किया और इसके प्रथम संपादक भाई महावीर प्रसाद पोद्दार थे। कहा जाता है कि महावीर प्रसाद पोद्दार को गीता वाटिका में भगवान नारद का दर्शन हुआ था। वह स्थान आज भी लोगों के दर्शनार्थ रखा गया है। यहां पर कर्मचारी आज भी एक दूसरे को रामराम कहकर अभिवादन करते हैं और सबसे खास बात गीता प्रेस में कोई भी ऐसे वस्तु का प्रयोग नहीं किया जाता जो कि जानवरों के हत्याकर के आदि से प्रयोग किया जाता है। चाहे पुस्तकों को जोडऩे के लिए गोंद का प्रयोग ही क्यों न हो। हांलाकि यहां पर जर्मनी, जापान, इटली की मशीनों का समय के साथ प्रयोग किया जा रहा है।

कोविड काल में भी बिकी 77 करोड़ की पुस्तकें
जब पूरी दुनियां कोरोना महामारी से जूझ रही थी और ज्यादातर संस्थानों की आमदनी शून्य हो चुकी थी तब भी दुनियां के सबसे बड़े प्रकाशक गीता प्रेस ने पुस्तकों का प्रकाशन जारी रखा और करीब 77 करोड़ रुपए का मुनाफा अर्जित किया। सौ सालों में करीब सौ करोड़ पुस्तकों का प्रकाशन करने वाले हिंदू धर्म के इस सबसे बड़े प्रकाशन संस्थान की पत्रिका कल्याण के बीस लाख से अधिक ग्राहक है। संस्थान ने अब तक करीब पचास करोड़ से अधिक गीता और रामचरित मानस का प्रकाशन किया है।

प्रतिदिन औसतन 70 हजार पुस्तकें होती है प्रकाशित
गीता प्रेस रोजाना करीब 70 हजार पुस्तकों का प्रकाशन करता है। जिसमें 18 हजार अलग-अलग नामों की पुस्तकें छोटी या बड़े साईज की होती है। पुस्तकों के प्रकाशन में 500 मीट्रिक टन कागज की खपत महीने में होती है। गत वर्ष जब देश-दुनिया जब कोरोना महामारी से उबर रहा था तब गीताप्रेस ने करीब 111 करोड़ रुपए का मुनाफा अर्जित किया।

किस पुस्तक का कितना किया प्रकाशन
गीता प्रेस ने अबतक 1621 लाख श्रीमद भगवत गीता का प्रकाशन किया है। जबकि 1173 प्रतियां श्रीरामचरित मानस की प्रकाशित की गई हैं। इसके अलावा 9 लाख पुस्तकें जिनमें 1142 लाख गीता को विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित किया गया है। मजे की बात है कि गीता प्रेस ने कभी भी अपना प्रचार-प्रसार नहीं किया और किसी भी विज्ञापन बाजी से दूर रहते हुए अपने प्रकाशन में लगा रहा है। लाल मणि तिवारी बताते हैं कि गीता प्रेस हमेशा से ना लाभ न हानि के आधार पर कार्य करता रहा है और किसी प्रकार का दान या फंड स्वीकार नहीं करता है। गीता प्रेस ने अबतक करीब 100 करोड़ से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन किया है। जो कि 18 भाषाओं में और 1800 प्रकार की पुस्तकें हैं। गीता प्रेस के प्रबंधक लाल मणि तिवारी कहते हैं कि हमारा प्रयास कम से कम कीमत पर सनातन धर्म की पुस्तकों और नैतिक शिक्षा से संबंधित पुस्तकों को आमलोगों को उपलब्ध कराना है।

मुंशी प्रेमचंद ने भी कल्याण पढ़ा
गीताप्रेस के आर्काइव में यह सबूत मौजूद है कि प्रख्यात हिंदी उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद्र ने 1931 में गीता प्रेस को पत्र लिखकर कल्याण पत्रिका मंगवाया था। इसके अलावा गीता प्रेस की प्रशंसा रविन्द्र नाथ टैगोर और महात्मा गांधी ने भी किया था। देश के विभाजन के बाद कल्याण के अंक को सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था जिसमें हिंदू क्या करें प्रकाशित किया गया था। हिंदू कोड बिल के दौरान डॉक्टर भीमराव अंबेदकर की आलोचना में गीता प्रेस की कल्याण पत्रिका ने लेख लिखे और लोगों से आग्रह किया कि प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु को पत्र भेजकर विरोध करें।

सीएम योगी सबको कहते हैं गीता प्रेस जरुर जाएं
लखनऊ या गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जब भी कोई मिलता है तो वह उससे गीता प्रेस जाने का अनुरोध जरुर करते हैं। यहां पर आने वालों की लंबी फेहरिस्त है जिसमें राष्ट्रपति से लेकर वैज्ञानिक, कलाकार और देश-विदेश की अनेक हस्तियां हैं।

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