काशी में ज्ञानवापी परिसर के पुरातत्व सर्वेक्षण के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट दिया है जिसमें दावा किया गया है कि 32 ऐसे सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि मंदिर तोड़कर यहां पर आधा अधूरा मस्जिद का निर्माण कर लिया गया है। आईए जानते हैं ज्ञानवापी का पूरा सच मार्कण्डेय पांडे से।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट न्यायालय में देते हुए कहा है कि लगभग 350 साल पहले मंदिर को तोड़कर गुंबद बनाया गया था। सातवीं सदी की मंदिर की दीवारें उत्तर भारत की नागर शैली में बनाई गई थी। यह शैली पल्लव कला में शुरू हुई थी और चोल काल में जाकर विकसित हुई थी। परिसर में कई स्थानों पर मंदिर के अवशेष मिले हैं वहां दीवारों पर खंभों पर देवनागरी और संस्कृत में लिखो श्लोक मिले हैं। परिसर में नागर शैली के कई ऐसे निशान मिले हैं जिसे पता चलता है कि यह मंदिर 1000 वर्ष पुराना है।
अपने सर्वेक्षण रिपोर्ट में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने कहा है कि यह कहा जा सकता है की गुंबद का निर्माण के पहले यहां पर एक भव्य हिंदुओं का मंदिर हुआ करता था। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता मदन मोहन यादव ने बताया कि सर्वेक्षण रिपोर्ट का अध्ययन किया जा रहा है फिलहाल जो जानकारी मिली है उसके अनुसार पश्चिमी दीवार पर ब्रह्मा कमल स्वास्तिक और मंदिर के अनेक प्रमाण मिले हैं पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट से अब यह पूरी तरह साफ हो गया है कि मंदिर को तोड़कर उसके ही ऊपर मस्जिद का गुंबद खड़ा कर दिया गया था।
मुगल आक्रमण में भारत के अधिकांश मंदिरों को तोड़कर उसके ऊपर मस्जिद बना दिया गया मुगल आक्रांताओं ने सनातन धर्म और हिंदू धर्म को अपमानित करने के लिए ऐसा किया था। 24 जनवरी को सनी के बाद वाराणसी जिला जज एक विश्वेश ने सभी पक्षों को सर्वेक्षण रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। हालांकि मुस्लिम पक्ष ने जिला जज के समक्ष मांग रखी कि सर्वेक्षण रिपोर्ट पक्षकारों तक ही रहे इसे सार्वजनिक ना किया जाए।
मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया था
काशी स्थित ज्ञानवापी मंदिर को 17वीं शताब्दी में तोड़ा गया और बाद में उसके हिस्से को मस्जिद में मिला दिया गया मौजूदा ढांचे में खंबो और उसे पर किए गए प्लास्टर का भी अध्ययन किया गया कई खंभों पर देवी देवताओं की मूर्तियां मिली हैं इसके अतिरिक्त दो तहखानों में हिंदू देवी देवताओं की प्रतिमाओं के टूटे हुए टुकड़े मिले हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 6 फरवरी को होनी है। 21 जुलाई 2023 को जिला अदालत के आदेश के बाद एएसआई ने काशी विश्वनाथ मंदिर के बगल में स्थित ज्ञानवापी का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था ताकि यह पता लगाया जा सके की वहां पहले से मौजूद मंदिर की संरचना पर मस्जिद का निर्माण किया गया है या नहीं। एएसआई की 629 पेज की सर्वेक्षण रिपोर्ट में ज्ञानवापी परिसर के कोने-कोने का ब्योरा दिया गया है। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन का कहना है कि एएसआई ने अपनी रिपोर्ट में मस्जिद की पश्चिमी दीवार को एक हिंदू मंदिर का हिस्सा बताया है अंदर के खंभे भी मंदिर के ही खंबे थे जिन पर बाद में प्लास्टर आदि करके उसका स्वरूप बदल दिया गया है रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान संरचना के निर्माण से पहले यहां एक बड़ा हिंदू मंदिर था जिसके 32 प्रमाण मिले हैं। मंदिर में एक बड़ा केंद्रीय कक्ष था जबकि उत्तर में एक छोटा कक्षा था मंदिर को 17 वीं सदी में तोड़ा गया।