…इस नगर में दो बड़ी कब्रें हैं, एक छह गज लंबी, दूसरी सात गज की है। साधारण लोग कहते हैं कि अयूब और शीश की कब्रें हैं और उनके विषय में विचित्र बातें कहते हैं।
अयोध्या पर मुगलों की सेना ने कुल 76 बार हमले किए। बाबर का हमला भी उन फकीरों के मजबूर करने पर हुआ जिसने बाबर को धमकी दे दी थी कि अगर फरिश्तों के उतरने वाली जगह पर मस्जिद तामीर नहीं कराओगे तो हम तुम्हे हिंदुस्थान का बादशाह ना बनने की बददुआ देंगे।
अयोध्या से पी. मार्कण्डेय
अबुल फजल लिखता है कि अल्लाहताला ने पहले आदम को बनाया और जब उन्होंने शैतान के बहकाने से गेहूं खा लिया तो फिरदौस (जन्नत) से गिरा दिए गए तो लंका द्वीप में गिरे जहां पर्वत पर उनका तीन गज लंबा चरण चिंंह अबतक दिखाया जाता है। इससे अंदाजा किया जा सकता है कि आदम किस डीलडौल के थे। आदम हज करने मक्के को जाया करते थे। उनके दो बेटे अयूब और शीश की कब्रें अयोध्या में बताई जाती हैं।
स्पष्ट है कि अबूल फजल किसी भी बात के लिए निश्चिंत नहीं है और लिखते हैं कि उनकी दो कब्रें अयोध्या में बताई जाती हैं। वास्तव में अयोध्या में मुसलमानों का आगमन विक्रम संवत की 11 वीं शताब्दी में हुआ था। अलप्तगीन जो पहले खुरासान और बुखारा के बादशाहों का गुलाम था, वह काबुल और कांधार के बीच के प्रांत का राजा बन गया। उसकी मौत के बाद उसका बेटा इसहाक गद्दी पर बैठा लेकिन विक्रमी संवत 1034 में सुबुक्तगीन ने गजनी पर अधिकार कर लिया। उसने सबसे पहले पंजाब पर हमला किया लेकिन इतिहासकार इस विषय पर एकमत नहीं है।
ठीक उसी समय परिहार वंश का राजा राज्यपाल कन्नौज पर राज्य कर रहा था। माना जाता है कि सुबुक्तगीन ने जयपाल से युद्ध किया। राज्यपाल का फारसी में जयपाल होना सुगम है। इस लड़ाई में जयपाल की पराजय हुई और उसने सुबुक्तगीन को कर देना स्वीकार किया। विंसेट स्मिथ लिखते हैं कि
हिंदुओं की हार का कारण था आक्रमणकारी बर्बर थे, कोई नियम वह नहीं मानते थे। धर्मांध लड़ाके मांसाहारी थे।
सुबुक्तगीन के बाद उसका बेटा महमूद गजनी बादशाह बना। उसने भारत वर्ष पर अपने हमलों का सिलसिला जारी कर दिया। गुजरात में सोमनाथ मंदिर समेत हजारों मंदिर तोड़ डाले गए। उसका भांजा सैयद सालार मसउद गाजी जो गाजी मियां और बाले मिया के नाम से जाना जाता है। वह भारत आया और मारकाट करते, लूटपाट और रक्तपात करते वह बाराबंकी तक पहुंच गया। बाराबंकी के पास उस समय सत्रिख बड़ा समृद्ध नगर था। उसने यहां डेरा डाल दिया और हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए अपने सेना नायक सैफदउद्दीन और मिया रज्जब को बहराइच की ओर भेजा। मलिक फजल को काशी अजीजउद्दीन को गोपामऊ रवाना किया।
ईस्वी सन् 1032 विक्रमी संवत 1079 में बहराइच मुगल पहुंच गए। जहां भगवान सूर्य नारायण का विश्व प्रसिद्ध मंदिर हुआ करता था। इसके अलावा यहां पर एक तालाब भी था। माना जाता है कि यह मंदिर अयोध्या के सूर्यवंशी सम्राटों ने निर्माण कराया था। यहां पर श्रीवास्तव्य लोगों की बड़ी संख्या थी जो मंदिर की पूजा अर्चना देखभाल किया करते थे। इतिहास के अनुसार यही पर कौशल्या नदी थी जिसे कोडिय़ाला कहा जाता था जिसके किनारे भयंकर युद्ध हुआ। भारी रक्तपात श्रीवास्तव्य और मसउद की सेना के बीच हुआ। ईसवी 1033 में मसउद की सारी सेना काट डाली गई और मसउद भी मारा गया। यह कथा प्रचलित है कि मसउद ने सूर्य मंदिर (वालार्क) देखकर कहा था कि हम युद्ध जीते और यह क्षेत्र हमारे पास आया तो मौत के बाद यही अपनी मजार बनाएंगे। करीब दो सौ साल के बाद जब मुस्लिम राज आया तो सूर्यमंदिर को तोडक़र मसउद की मजार बना दी गई। अवध गजेटियर में लिखा है कि कब्र में मसउद का सर सूर्यनारायण मंदिर पर रखा हुआ है।
हांलाकि गाजी मियां के अयोध्या आने की कोई चर्चा इतिहास में नहीं है। केवल एक ग्रंथ दरबिहिश्त में लिखा है कि गाजी मियां अयोध्या आया था।
अवध गजेटियर, वाल्यूम एक, पेज तीन
अवध गजेटियर के अनुसार मसउद को पराजित करने वाला राजा सुहेलदेव था। संभव है कि मसउद की सेना जिस तरह गाजर मूली की तरह काट दी गई उसके बाद गाजी मिया की सेना को अयोध्या की तरफ बढऩे का साहस नहीं हुआ हो। जबकि बाराबंकी के सत्रिख शहर से बहराईच की जगह अयोध्या करीब थी लेकिन मुगल सेनाएं उधर जाने से डरने लगी थी। हांलाकि अयोध्या के कनक भवन को गाजी मियां ने नष्ट किया था ऐसा एक लेख कनक भवन की ओर से छापा गया था। लेकिन इतिहास में गाजी के अयोध्या पहुंंचने की खबर संदेह से भरा है।
महमूद गजनी की मौत हुई और 1207 में अलाउद्दीनल हुसैन ने गजनी को जमकर लूटा, मारकाट कर गजनी को कब्रिस्तान बना डाला। इसी अलाउद्दीन की मौत के बाद उसका बेटा उत्तराधिकारी बना लेकिन मार डाला गया। मुहम्मद बिन साम गोर का शासक बना। मुहम्मद बिन साम ने भारत की ओर रुख किया और पृथ्वीराज चौहान से लड़ाई हुई। उस समय अयोध्या कन्नौज के गहरवारों के अधीन थी और गहरवारों के परास्त होने के बाद अयोध्या मुगलों के अधीन आ गई। इसी वक्त मखदूम शाह जूरन गोरी जो अपने भाई सुल्तान मुहम्मद गारी के साथ भारत आया था, वह एक छोटी सी सेना लेकर अयोध्या पहुंचा। उसने अयोध्या आते ही जैन समुदाय के भगवान आदिनाथ मंदिर को तोड़ डाला। बताया जाता है कि अयोध्या के बकसरिया टोले में अब भी जूरन के वंशज रहते हैं, हांलाकि भगवान आदिनाथ का मंदिर फिर से बन गया है लेकिन मंदिर का चढ़ावा मुसलमान लेते हैं। अयोध्या पर कुल 76 मुगल हमले हुए हैं। जिनकी सिलसिलेवार स्थिति से हम आपको अवगत कराएंगे। कुछ प्रमुख हमले जिसमें अयोध्या को लूटा और तोड़ा गया इसके अलावा भारी रक्त पात हुआ उनमें
गुलाम आब्दगीन के समय एक हमला
शाह फीरोज के समय दस हमले
मुहम्मद तुगलक के समय दो हमले
बाबर के समय चार हमले
हूमायूं के समय दस हमले
अकबर के समय 16 हमले
औरंगजेब के समय 21 हमले
सैयद सालार मसउद गाजी के समय दो हमले
नबाव सहादत अली के समय चार हमले
सिकंदर लोदी के समय एक हमला
नासिरउद्दीन हैदर के समय तीन हमले
अंग्रेजों के समय दो हमले
कुल 76 हमलों ने अयोध्या ने अयोध्या को घायल किया है…
अयोध्या, राम और राममंदिर की कथा में हमने प्राचीन अयोध्या से लेकर त्रेतायुगीन तीर्थो की चर्चा किया। सनातन संस्कृति से लेकर अयोध्या की भौगोलिक सीमाओं का वर्णन किया। पुराणों, धर्मग्रंथों और इतिहास की पुस्तकों के हवाले से हमने अयोध्या के प्राचीन गौरव को रेखांकित किया है। अब आगे बढ़ते हैं, उन घटनाओं की तरफ जिनके कारण अयोध्या में संघर्ष हुए। इतिहास के अनुसार अयोध्या पर सबसे पहले हूण और किरातों ने हमले किए और मूल राममंदिर को काफी नुकसान पहुंचाया। जिसे बाद में महाराजा विक्रमादित्य ने निर्माण कराया था।