लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बसपा ने 5 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। मायावती ने 5 में से चार मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया है। इनके नाम सामने आने के साथ ही बसपा की रणनीति भी साफ हो गई है।
मायावती विपक्ष में होने के बाद भी मोदी सरकार के खिलाफ बने इंडिया गठबंधन में शामिल नहीं हुईं और अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। इस बीच पिछले तीन दिनों में उन्होंने पांच उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें से 4 मुस्लिम प्रत्याशी हैं।
हर चुनाव में मुस्लिम वोट भाजपा के खिलाफ पड़ते रहे हैं। अगर किसी दल से कोई मुस्लिम प्रत्याशी नहीं है तो यह वोट सीधे सपा को ही मिलते हैं। जहां भी बसपा ने मुस्लिम प्रत्याशी उतारा है, उसका खामियाजा सपा को ही भुगतना पड़ा है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव है। यहां भाजपा प्रत्याशी ने सपा को केवल डेढ़ लाख वोटो से हराया था। जबकि बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी को ढाई लाख से ज्यादा वोट मिले थे।
विधानसभा चुनाव में भी दिखा था असर
विधानसभा चुनाव में भी बसपा की इसी रणनीति का असर दिखाई दिया था। लोकसभा चुनाव 2024 में भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है। बसपा ने इसी औसत से मुस्लिम प्रत्याशियों को उतारा तो सपा-भाजपा के बीच दिख रही सीधी टक्कर त्रिकोणीय हो जाएगी। बसपा भले ही न जीते, लेकिन सपा की हार में अहम रोल निभा सकती है।
खेलब न खेले देब वाली रणनीति
बसपा ने कन्नौज से पूर्व सपा नेता अकील अहमद, पीलीभीत से पूर्व मंत्री अनील अहमद खां फूल बाबू, अमरोहा से मुजाहिद हुसैन और मुरादाबाद से इरफान सैफी को लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदवार बनाया है। 5 में से 4 मुस्लिम प्रत्याशी उतारने को मायावती की अखिलेश यादव के लिए न खेलब न खेले देब वाली रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
उम्मीदवारों की सूची लगभग तय
राजनीतिक सूत्रों का दावा है कि बसपा ने यूपी की सभी सीटों पर उम्मीदवारों की सूची लगभग तय कर ली है। ज्यादातर मंडल प्रभारियों को इनकी सूची भी सौंप दी गई है। कांशीराम की जयंती पर 15 मार्च से मंडल स्तर पर होने वाले कार्यक्रम में इनको बतौर लोकसभा प्रभारी घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही उन्हें चुनावी तैयारियों में जुटा दिया जाएगा। पहले चरण में सभी सीटों के लिए प्रभारी बनाए जाएंगे। उसके बाद प्रदेश स्तर से उम्मीदवारों की सूची विधिवत जारी की जाएगी।