हाईकोर्ट की डबल बैंच के जस्टिस रजनीश भटनागर व जस्टिस रेखा पल्ली ने दिल्ली परिहवन निगम के वी.आर.एस. कर्मचारियों की पेंशन मामले में सुनवाई करते हुए वी.आर.एस व कर्मचारी पेंशन योजना के तहत आने वाले कर्मचारियों के मामले को मर्ज करते हुए एक ही तारीख यानी आगामी 8 अप्रैल निर्धारित की है। विपक्ष (डी.टी.सी.) की वकील को हाईकोर्ट की डबल बैंच ने फटकार लगाई, वहीं डीटीसी विभाग को अपने स्तर पर पेंशन मामले निपटाने के आदेश जारी किए।
रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन देना DTC विभाग की जिम्मेदारी
अधिवक्ता ऋतु मुंजाल ने बताया कि हाईकोर्ट में 7 फरवरी को साल 1992-1995 में डीटीसी से रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन मामले में उक्त तारीख तय थी, जिसका सभी वीआरएस कर्मचारियों को बेसर्बी से इंतजार था। लेकिन विपक्ष की वकील ने आइटम नम्बर आने से पहले यानी मामले में सुनवाई साढे़ 3 बजे होनी थी, लेकिन विपक्ष की वकील ने कर्मचारी पेंशन योजना के तहत आने वाले कर्मचारियों का केस माननीय हाईकोर्ट के समक्ष रख दिया जिस वजह से डबल बैंच ने ई.पी.एफ. के अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों को भी वी.आर.एस. कर्मचारियों में शामिल करने के आदेश देते हुए कहा कि जो भी कर्मचारी डीटीसी विभाग से रिटायर्ड हुआ है, उस कर्मचारी को पेंशन डीटीसी विभाग ही देगा, सभी रिटायर्ड कर्मचारियों की पेंशन देना, डी.टी.सी. विभाग की जिम्मेदारी है।
केजरीवाल सरकार अपने स्तर पर कर रही कार्यवाही
अधिवक्ता ऋतु मुंजाल ने बताया कि एक ओर जहां वीआरएस कर्मचारियों की पेंशन बहाली का मामला माननीय हाईकोर्ट में चल रहा है तो वहीं केजरीवाल सरकार भी वी.आर.एस. कर्मचारियों के पेंशन मामले में कार्यवाही में लगी हुई है।
आप्टिड-नाॅन आप्टिड का फंडा खत्म
अधिवक्ता ने यह भी बताया कि माननीय हाईकोर्ट में आप्टिड-नाॅन आप्टिड के मुद्दे को भी विपक्ष की वकील ने हाईकोर्ट उठाया लेकिन माननीय हाईकोर्ट ने आप्टिड-नाॅन आप्टिड को खत्म करने की बात कही। तो वहीं दूसरी ओर दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा डी.टी.सी. विभाग से कर्मचारियों की पेंशन लागू करने हेतु पूछे गए सवाल पर भी दिल्ली परिवहन निगम अधिकारियों द्वारा भी उक्त आप्टिड-नाॅन आप्टिड विषय को लेकर रिटायर्ड कर्मचारियों के पास पत्र भेजे जा रहे हैं इससे साबित होता है कि डी.टी.सी. विभाग ही माननीय हाईकोर्ट व कर्मचारियों को गुमराह कर रहा है। लेकिन अब मामला माननीय हाईकोर्ट में चल रहा, अब डीटीसी विभाग को पेंशन लागू करनी ही होगी।
ऋतु मुंजाल- पक्ष अधिवक्ता