सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की सांसदी बहाली के खिलाफ वाली याचिका पर सख्त रुख अपनाते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने कहा कि आप एक वकील हैं और ऐसी तुच्छ याचिकाए दायर कर रहे हैं।
राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाली के खिलाफ वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। शुक्रवार को अदालत लखनऊ के वकील पर पीएलआई दाखिल करने के लिए एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस बीआर गवई के नेतृत्व वाली बेंच ने जुर्माना लगाते हुए कहा कि इस तरह की तुच्छ याचिकाएं दाखिल करने से न केवल कोर्ट का बल्कि पूरे सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री का अमूल्य समय बर्बाद होता है।
बेंच ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता अशोक पांडे के कहने पर केस को पहले भी दो बार स्थगित किया जा चुका है। बता दें कि अपनी याचिका में, अशोक पांडे ने दलील दी थी कि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल का कोई सदस्य कानून के तहत अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य रहेगा जब तक वह अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों से बरी नहीं हो जाता। याचिकाकर्ता ने संविधान पीठ से यह निर्धारित करने की अपील की कि क्या दोषसिद्धि पर रोक के आधार पर कानून के तहत अयोग्यता झेलने वाला शख्स संसद या राज्य विधानमंडल का सदस्य चुने जाने या बनने के योग्य हो जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर लगाई थी रोक
बता दें कि पिछले साल अगस्त महीने में शीर्ष अदालत ने ‘मोदी सरनेम’ मानहानि केस में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर रोक लगाते हुए कहा था कि ट्रायल जज ने दो साल की अधिकतम सजा देने के लिए कोई वजह नहीं बताई है। शीर्ष अदालत के इस आदेश के बाद लोकसभा सचिवालय ने अगस्त 2023 में राहुल गांधी की सदस्यता को बहाल कर दिया था।