कभी पूरब का आक्सफोर्ड कहा जाता था। तो इसे सिविल सेवकों की फैक्ट्री भी कहा जाता था। देश को प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक देने वाले शहर और विश्वविद्यालय की हालत यह है कि अब यह नकल माफियाओं का सबसे मुफीद अड्डा बन चुका है। आइए जानते हैं पूरा मामला मार्कण्डेय पाण्डेय से।
जनवरी का महीना साल 2020। प्रयागराज पुलिस ने टीईटी के साल्वर गैंग के करीब एक दर्जन सदस्यों को पकड़ लिया। यह साल्वर गैंग मोटी रकम लेकर टीईटी परीक्षा में पास करने का ठेका लेता रहा। परीक्षा चाहे टीईटी को या लोक सेवा आयोग संबंधित किसी भी परीक्षा में इस तरह के गैंग सक्रिय हो जाते हैं। नकल मुक्त प्रतियोगी परीक्षा कराने को लेकर उत्तर प्रदेश पुलिस ने जिन जिलों की लिस्ट बनाई उसमें प्रयागराज जिले ने पहला स्थान हासिल किया। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा के दौरान इन जिलों की लिस्ट बनाई गई थी। दरअसल, पिछले तीन साल में तीन दर्जन से अधिक नकल माफिया प्रयागराज से पकड़े गए हैं। इनमें 40 से ज्यादा नकल माफिया पकड़े गए। इनमें अलग-अलग छात्र थे जो नकल कराने, साल्वर खोजने, साल्वर को बैठाने आदि के ठेकेदार थे।
पठन-पाठन और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी का इलाहाबाद गढ़ रहा है। दशकों से इलाहाबाद शहर की पहचान प्रतियोगी छात्रों के कारण होती रही है। लेकिन अन्य शहरों में भी अच्छे कोचिंग संस्थान खुलने, पठन-पाठन की सामग्री उपलब्ध होने के चलते शहर का एकाधिकार टूटने लगा। दूसरी तरफ बेरोजगारी की दर भी बढ़ती गई जिससे इलाहाबाद में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले ओवरएज होते गए। अपना खर्च निकालने के लिए ये ओवरएज छात्र नकल माफिया बन जाते हैं। दूसरे की जगह परीक्षा देकर मोटी रकम हासिल करने लग जाते हैं। वहीं कोचिंग संस्थानों की भी भरमार है जो परीक्षा में कामयाबी का झूठा वादा करते हैं और ऐसे छात्रों की तलाश में रहते हैं जो नकल करा सकें।
पिछले 28 अक्टूबर को जब उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग जब हो रही थी तभी लखनऊ के पिकअप भवन में बनाया गया यूपीएसएससी कंट्रोल रुम में सूचना आई कि इलाहाबाद के कई केंद्रों पर संदिग्ध छात्र मौजूद हैं। सूचना मिलते ही हडक़ंप मच गया और पुलिस सक्रिय हो गई। इसके बाद शिवकुटी सरस्वती विद्या मंदिर, सिविल लाईंस रानी रेवती देवी इंटर कॉलेज, कर्नलगंज के भारत स्काउॅट एंड गाइड इंटर कॉलेज, करेली के मजीदिया इस्लामिया इंटर कॉलेज, अतरसुईया के डीएवी इंटर कॉलेज से दूसरों की जगह परीक्षा देने वालों को पकड़ा गया। इनसे पूछताछ के बाद नकल माफियाओं के बड़े गैंग को भी गिरफ्तार किया गया जिनके पास से कई तरह के इलेक्ट्रानिक डिवाईस भी बरामद किया गया।
प्रतियोगी परीक्षाओं का हाल
टीईटी की परीक्षा में फाफामउ में बैठा दीपक पटेल नकल माफियाओं का सरगना निकला। हांलाकि संगमनगरी में नकल के व्यवस्थित नेटवर्क का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले रेलवे भर्ती बोर्ड की परीक्षा में भी अनियमितताएं सामने आ चुकी थी। इसी प्रकार 69 शिक्षक भर्ती परीक्षा हो या लेखपाल भर्ती परीक्षा सभी में नकल माफियाओं के बड़े गिराहों का भंडाफोड़ हुआ है।
कब-कब पकड़ाए नकल माफिया
-एक अगस्त 2021 में लेखपाल भर्ती परीक्षा में चेतना इंटर कॉलेज से पकड़े गए नकलची। जिसमें स्कूल प्रशासन की भूमिका भी संदेह में है।
- 7 अगस्त 2021 को टे्रंड ग्रेज्युएट टीचर परीक्षा में बड़े साल्वर गैंग का खुलासा हुआ।
-16 अक्टूबर 2022 को यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षा में अल्लापुर के दिव्याभा इंटर कॉलेज से बड़े गिरोह का पर्दाफास हुआ।
-टीईटी परीक्षा 24 जनवरी 2022 को खुल्दाबाद से 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। - एक झटके में मोटा पैसे की कमाई और लचर कानून
- नकल माफिया के फलने-फूलने के पीछे एक झटके में लाखों रुपए की आमदनी हैं। इन परीक्षाओं में शामिल होने वाले ज्यादातर पूर्व छात्र या ओवरएज हो रहे अभ्यर्थी होते हैं। जिनको किसी एक परीक्षा में बैठने के बदले ही महज तीन घंटे के लिए लाखों रुपए मिल जाते हैं। दूसरी तरफ इनको सहयोग और संरक्षण देने वालों का भी नेटवर्क तैयार रहता है, जो इनको हर समय सहयोग करता है। अगर पकड़े भी गए तो लचर कानून व्यवस्था के कारण जल्दी ही छूट जाते हैं।