श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में आजीवन अविवाहित रहने वाले चंपतराय बंसल कौन हैं? किन कारणों से 18 महीनों तक जेल में बंद रहे और अचानक मीडिया की सुर्खियों में कैसे आए। आइये जानते हैं श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के इस योद्धा की कहानी जो अब मंदिर निर्माण समिति के महासचिव हैं।
राम मंदिर की जमीन खरीद मामले को लेकर समाजवादी पार्टी के नेताओं ने विहिप के नेता चंपत राय पर गंभीर आरोप लगाए थे। लेकिन सारे आरोप निराधार और बकवास साबित हुए। चंपत राय को जानने वाले प्रयाग के विहिप कार्यकत्र्ता आशुतोष श्रीवास्तव और प्रांत संगठन मंत्री रहे मनोज श्रीवास्तव कहते हैं कि चंपत जी एक-एक रुपया का हिसाब रखने वाले व्यक्ति हैं। उनके बारे में घोटाला शब्द का प्रयोग ही हास्यास्पद है। उत्तरप्रदेश के बिजनौर के नगीना कस्बे के सरायमीर मुहल्ले के रहने वाले चंपत राय बंसल इन दिनों अयोध्या में बनने वाले भव्य श्रीराम मंदिर तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र के महासचिव है और लगातार समाचारों की सुर्खियों में छाए हुए हैं। इतना ही नहीं, इन दिनों वह बेहद व्यस्त लोगों में शामिल हैं।
रामेश्वर प्रसाद बंसल और माता सावित्री देवी के पुत्र चंपत राय बंसल का जन्म 18 नवंबर 1946 को हुआ। वह बाल्यकाल से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। उनके पिता रामेश्वर प्रसाद बंसल भी संघ से जुड़े रहे। पढ़ाई लिखाई के बाद उनको धामपुर के आएसएम डिग्री कॉलेज में रसायन विज्ञान के प्रोफेसर का पद मिला और वह छात्रों में बेहद लोकप्रिय रहे। बाद में चंपत राय संघ के पूर्णकालिक के रुप में काम करने लगे। 1975 में जब इंदिरा गांधी ने देश में आपात काल लगाया तो संघ और इससे जुड़े लोगों की गिरफ्तारी शुरू हो गई। चंपत राय कक्षा में छात्रों को पढ़ा रहे थे, तभी पुलिस अधिकारी पहुंच गए और कहा कि प्रोफेसर साहब आप गिरफ्तार किए जाते हैं। चंपतराय ने पुलिस अधिकारियों से कहा कि आप मुझे घर से कपड़े लाने का मौका दें, मै खुद ही थाने पर आ जाता हूं। ऐसा ही हुआ और वह खुद ही थाने पर पहुंचकर पुलिस कर्मियों को दिया वादा निभाए।
कुल 18 माह तक जेल में बंद रहे। इसके बाद उन्होंने कॉलेज की नौकरी छोड़ दी और पूर्णकालिक रुप से संघ के प्रचारक बन गए। आजीवन अविवाहित रहे चंपत राय बाद में विश्व हिंदू परिषद के काम से जोड़ दिए गए और राममंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका में रहे। सुप्रीम कोर्ट में चली कार्रवाई के दौरान मुख्य पक्षकार भी रहे। मंदिर के पक्ष में सबूत और तथ्य जुटाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। बेहद सादा जीवन के अभ्यस्त, अल्पाहारी चंपत राय का जीवन किसी संत से कम नहीं है। वह इन दिनों श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट क्षेत्र के महासचिव हैं और उनकी निगरानी में ही मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है। विश्व हिंदू परिषद के काम से देशभर में प्रवास करने वाले चंपत राय इन दिनों मंदिर निर्माण को लेकर लगातार अयोध्या में ही बने हुए हैं।