इस साल 25 मार्च 2024 को होली का पावन पर्व मनाया जा रहा है। होली हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हर साल फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है, फिर उसके अगले दिन होली मनाई जाती है। इस दिन लोग एकजुट होकर खुशियां मनाते हैं और एक दूसरे को प्यार के रंगों में सराबोर करके अपनी खुशी जाहिर करते हैं। हिंदू धर्म के अनुसार होलिका दहन को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। भक्त प्रहलाद और होलिका से जुड़ी कथा तो हर किसी को पता होगी, लेकिन होलिका दहन के अलावा होली को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा शिव जी और कामदेव से जुड़ी है।
प्रेम के देवता कामदेव हुए प्रसन्न
पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती शिव जी से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन तपस्या में लीन शिव ने उनकी ओर ध्यान नहीं दिया। लेकिन पार्वती की कोशिशो को देखकर प्रेम के देवता कामदेव प्रसन्न हुए और शिव जी की तपस्या भंग करने के लिए उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया, जिसके कारण शिव की तपस्या भंग हो गई। तपस्या भंग होने की वजह से शिव नाराज हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए।
जब रति ने बताई अपनी व्यथा
इसके बाद शिव जी ने पार्वती की ओर देखा। हिमवान की पुत्री पार्वती की आराधना सफल हुई और शिव ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। लेकिन कामदेव के भस्म होने के बाद उनकी पत्नी रति को असमय ही वैधव्य सहना पड़ा। फिर रति ने शिव की आराधना की। इसके बाद जब शिव जी अपने निवास पर लौटे तब रति ने उनसे अपनी व्यथा कही। वहीं पार्वती के पिछले जन्म की बातें याद कर भगवान शिव ने जाना कि कामदेव निर्दोष हैं। पिछले जन्म में दक्ष प्रसंग में उन्हें अपमानित होना पड़ा था। उनके अपमान से विचलित होकर दक्ष पुत्री सती ने आत्मदाह कर लिया। उन्हीं सती ने पार्वती के रूप में जन्म लिया और इस जन्म में भी शिव का ही वरण किया। कामदेव ने तो सिर्फ उनका सहयोग किया था।
मलिनता प्रेम रूप में हुई प्रकट
इसके बाद शिव जी कामदेव को जीवित कर दिया। उसे नया नाम दिया मनसिज। कहा कि अब तुम अशरीरी रहोगे। उस दिन फागुन की पूर्णिमा थी। सुबह तक उसकी आग में वासना की मलिनता जलकर प्रेम के रूप में प्रकट हो गई। कामदेव अशरीरी भाव से नए सृजन के लिए प्रेरणा जगाते हुए विजय का उत्सव मनाने लगे। यह दिन होली का दिन होता है।