बाहुबली और माफिया डॉन के नाम से कुख्यात मुख्तार अंसारी का गुरुवार रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। डॉन मुख्तार अंसारी की गुरुवार को मौत हो गई। वह लंबे समय से बांदा मंडल कारागार में था। गुरुवार शाम तबीयत बिगड़ने पर मुख्तार को बांदा मेडिकल कॉलेज के ICU में एडमिट कराया गया था। मुख्तार की मौत की सूचना मिलते ही बांदा, आजमगढ़, गाजीपुर और मऊ जिलों में सुरक्षा बढ़ाने के साथ धारा 144 लागू कर दी गई है।
मुख्तार के परिवार ने लगाए आरोप
देर रात जेल विभाग ने पुलिस के जरिए मुख्तार के घरवालों को मौत की सूचना दी। मौत का कारण कार्डियक अरेस्ट बताया गया है। परिवार का आरोप है कि मुख़्तार को जहर दिया गया था। मुख्तार की मौत के बाद उत्तर प्रदेश में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है और सभी जिलों में पुलिस का कड़ा पहरा लगाया गया है। मुख्तार अंसारी को यूपी के गैंगस्टर के टॉप लिस्ट में रखा गया था। अंसारी के निधन के बाद बांदा की सीमाओं में चेकिंग शुरू हो गई है। मऊ में भी एसपी सहित भारी पुलिस बल फ्लैग मार्च कर रही है। झांसी में भी पुलिस फोर्स की तैनाती की गई है।
कौन था मुख्तार अंसारी
मुख्तार अंसारी का जन्म 30 जून 1963 को गाजीपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। मुख्तार अंसारी गाजीपुर के एक प्रमुख सुन्नी मुस्लिम परिवार से हैं। उनका जन्म सुभानुल्लाह अंसारी (पिता) और बेगम राबिया (मां) के यहां हुआ। दिसंबर 2018 में उनकी मां का निधन हो गया। उनके दादा, डॉ मुख्तार अहमद अंसारी एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग के पूर्व अध्यक्ष थे। उनके दो बड़े भाई हैं, सिबकतुल्लाह अंसारी जो मोहम्मदाबाद निर्वाचन क्षेत्र से बहुजन समाज पार्टी के विधायक थे, और अफजल अंसारी जो गाजीपुर से लोकसभा सदस्य हैं।
पूर्वांचल क्षेत्र में विकास परियोजनाओं का आदेश
मुख्तार अंसारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के शुरुआती अध्यक्ष मुख्तार अहमद अंसारी के पोते हैं, जो आगे चलकर जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के संस्थापकों में से एक बने। साल 1970 के दशक की शुरुआत में सरकार ने पिछड़े पूर्वांचल क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप संगठित गिरोह सामने आए जो इन परियोजनाओं के कॉन्ट्रैक्ट लेने के लिए एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा करते थे। जबकि मुख्तार अंसारी शुरू में मखनू सिंह गिरोह का सदस्य था, जो 1980 के दशक में साहिब सिंह के नेतृत्व वाले एक अन्य गिरोह से भिड़ गया था। जबकि झड़प का मुख्य कारण सैदपुर में जमीन का एक भूखंड था जिसके परिणामस्वरूप विभिन्न हिंसक घटनाएं हुईं।
कई मामले थे दर्ज
साहिब सिंह के गिरोह से बृजेश सिंह नाम का एक व्यक्ति था, जिसने बाद में अपना गिरोह बनाया और 1990 के दशक में गाजीपुर के ठेका माफिया को पकड़ लिया। हालांकि, मुख्तार के गिरोह ने 100 करोड़ रुपए के अनुबंध व्यवसाय के नियंत्रण के लिए बृजेश के साथ प्रतिस्पर्धा की, जो कोयला खनन, स्क्रैप निपटान, सार्वजनिक कार्यों, रेलवे निर्माण और शराब व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ था। इसके अलावा ये गिरोह अपहरण जैसी अन्य आपराधिक गतिविधियों के अलावा चल रहे संरक्षण और जबरन वसूली रैकेट का भी हिस्सा थे। मुख्तार के ऊपर कई हत्या और जबरन वसूली के आरोप है।