ज्ञानवापी मस्जिद पर अदालत में लंबी बहस के बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई है। ASI ने GPR तकनीक के आधार पर किए गए सर्वे के बाद रिपोर्ट में बताया कि मस्जिद के निर्माण से पहले जगह पर एक भव्य हिन्दू मंदिर था। इसके लिए बतौर प्रमाण के तौर पर उन्होंने 32 ऐसे शिलालेखों का जिक्र किया, जो पुराने हिंदू मंदिरों के हैं। इस पर हिंदू पक्ष का कहना है कि सर्वे रिपोर्ट से सब कुछ साफ हो गया है। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई, यह भी पता चल गया। दूसरी तरफ से मुस्लिम पक्ष ने कानूनी लड़ाई को आगे बढ़ाने की बात कही है।
मूर्तियां प्रमाणिक नहीं हैं- वकील अखलाक अहमद
बता दें कि ज्ञानवापी की 839 पन्नों की ASI सर्वे रिपोर्ट को मुस्लिम पक्ष की तरफ से अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के वकील अखलाक अहमद ने रिसीव किया है। उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष एक्सपर्ट नहीं है जो किसी बिल्डिंग को देखकर बता सके कि पत्थर कितना पुराना है। ऐसा ASI की रिपोर्ट में भी नहीं लिखा है। ज्ञानवापी मस्जिद में ASI रिपोर्ट की तस्वीरों में हिंदू देवी-देवताओं के जिक्र के सवाल पर वकील अखलाक अहमद ने कहा, वे मूर्तियां प्रमाणिक नहीं हैं।
ऐतिहासिक साक्ष्य, मंदिर तोड़कर बनाई गई मस्जिद
ज्ञानवापी मामले में अदालत ने ASI के निदेशक को चार अगस्त तक सर्वे के संबंध में रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट गया। इसके बाद दोबारा चार अगस्त 2023 से सर्वे शुरू हुआ, जो दो नवंबर तक पूरा हुआ। 18 दिसंबर 2023 को सर्वे रिपोर्ट अदालत में दाखिल की गई थी। इसके बाद से ही हिंदू पक्ष रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग कर रहा था। सर्वे में दावा किया गया कि मस्जिद से पहले यहां मंदिर था और उसकी संरचना के सबूत प्राप्त हुए हैं। यह ऐतिहासिक साक्ष्य है कि आदि विश्वेश्वर का मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है।