गुजरात 2002 दंगों के दौरान बिलकिस बानो दुष्कर्म मामले में 11 दोषियों को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने समय से पहले रिहाई पर सरकार को फटकार लगाई है। वहीं जेल से रिहा करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी।जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा- सजा अपराध रोकने के लिए दी जाती है। पीड़ित की तकलीफ की भी चिंता करनी होगी। वहीं अब दो हफ्ते के अंदर दोषियों को सरेंडर करना होगा। बेंच ने कहा कि गुजरात सरकार को दोषियों की रिहाई का फैसला लेने का कोई अधिकार नहीं है। अगर सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई का फैसला भी वही सरकार तय करेगी।
11 दोषियों की रिहाई को चुनौती
बिलकिस बानो ने गैंगरेप के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थी। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें फौरन वापस जेल भेजने की मांग की गई थी। अगस्त 2022 में गुजरात सरकार ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया था। वहीं अब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस के दोषियों को जेल जाना होगा।
उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर हुई थी दाखिल
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़क गए थे। दंगों के दौरान उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में दाखिल हो गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार समेत एक खेत में जा छिपी। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वह 5 महीने की गर्भवती थीं। दंगाइयों ने बिलकिस के साथ दुष्कर्म किया। उनकी मां व तीन और महिलाओं के साथ भी दुष्कर्म किया गया। इस हमले में उनके परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी गई। वहीं 6 लोग लापता पाए गए। हमले में बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे।