अनिल विज का जन्म 15 मार्च 1953 को हरियाणा के अंबाला में हुआ। उनके पिता का नाम भीम सेन है जो रेलवे में अधिकारी थे। पिता की मृत्यु के बाद घर की जिम्मेदारियां विज के कांधों पर आ गई। अनिल विज ने 1968 में बनारसी दास स्कूल से हाईस्कूल एंव एस.डी. कॉलेज, अम्बाला से BSC किया है। अब वें हरियाणा के गृह एवं स्वास्थ्य मंत्री हैं। उनकी लोकप्रियता का मुकाम राष्ट्रीय स्तर के नेताओं से काफी आगे है।
चुनाव लड़ने के लिए छोड़ दी थी SBI की नौकरी
आपको बता दें कि 1990 में जब सुषमा स्वराज राज्यसभा की सदस्य चुनीं गईं तो अंबाला कैंट विधानसभा सीट खाली थी। इस सीट पर उपचुनाव होना था। अनिल विज ने चुनाव लड़ने की पेशकश की और इसके लिए उन्होंने SBI की नौकरी भी छोड़ दी। किस्मत ने साथ दिया और पहली बार विधायक बनकर हरियाणा विधानसभा पहुंचे। उन्हें 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया।
BJP के टिकट पर लड़ा चुनाव और हुए विजयी
अनिल विज दो बार हरियाणा विधानसभा निर्दलीय के तौर पर भी जा चुके हैं। 1996 और 2000 में अनिल विज ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और दोनों बार जीत अपने नाम की। वहीं 2005 में चुनाव हार गए। इसके बाद 2009 में उन्होंने अंबाला छावनी निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और विजयी हुए। 2014 में उन्हें एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के विधायक अंबाला छावनी के रूप में चुना गया और 2019 में उन को छठी बार भारतीय जनता पार्टी के विधायक अंबाला छावनी के रूप में चुने गए।
हरियाणा के नए सीएम बने नायब सिंह सैनी
इसी बीच 2024 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने हरियाणा में मुख्यमंत्री का चेहरा बदल दिया है। मनोहर लाल खट्टर के हाथों से सत्ता की कमान लेकर नायब सिंह सैनी के हाथों में सौंप दी गई हैं। सीएम के साथ कंवरपाल गुर्जर, मूलचंद शर्मा, चौधरी रंजीत सिंह चौटाला, जय प्रकाश दलाल और बनवारी लाल ने मंत्री पद की शपथ ली। आज हरियाणा विधानसभा में फ्लोर टेस्ट भी है और अनिल विज अपनी प्राइवेट गाड़ी से अंबाला से चंडीगढ़ पहुंचे हैं।
मैं नाराज नहीं हूं, पहले से ज्यादा करूंगा काम- अनिल विज
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जानकारी सामने आई है कि अनिल विज ने बुधवार को कहा कि मैं नाराज नहीं हूं। उन्होंने कहा कि बदलाव होता रहता है। मैं पहले से ज्यादा काम करूंगा। पूर्व मंत्री ने कहा कि मैं भारतीय जनता पार्टी का अन्नय भक्त हूं। मैंने हर परिस्थिति में बीजेपी के लिए काम किया, अब भी करूंगा। पहले से ज्यादा करूंगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विज की जेपी नड्डा से फोन पर दो बार बात हुई है जिसके बाद से विज के तेवर बदले-बदले से लग रहे हैं।
सीएम बनने की उम्मीद में थे- विज
कहा जा रहा है कि मनोहर लाल खट्टर ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की रणनीति के तहत अपनी कुर्सी छोड़ी तो अनिल विज को उम्मीद थी कि वरिष्ठता के आधार पर पार्टी उनके नाम पर विचार करेगी। इसकी एक वजह ये भी थी कि खट्टर की तरह विज भी पंजाबी समुदाय से आते हैं। सामाजिक समीकरण और अपनी वरिष्ठता के आधार पर सीएम बनने की उम्मीद लगा रहे थे, लेकिन पार्टी ने ओबीसी समुदाय से आने वाले नायब सिंह सैनी के नाम पर मुहर लगा दी। इसके अगले ही पल अनिल विज विधायक दल की बैठक छोड़कर निकल गए।