राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के दौरान देश के के इमाम की ऐतिहासिक मौजूदगी पर जारी हुआ कुफ्र का फतवा…..
देश के के इमाम उमर अहमद इलियासी के अयोध्या में भगवान श्री राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर मुफ्ती ने कुफ्र का फतवा सादिर किया है ऐसा पहली बार हुआ है। हालांकि इसके पहले आजादी की लड़ाई के समय कुफ्र का फतवा कट्टरपंथी उलेमाओं द्वारा सर सैयद अहमद खान पर जारी किया गया था और उनको काफिर कहा गया था। सर सैयद अहमद खान तब मुसलमान से कहा था कि वह आधुनिक शिक्षा प्राप्त करें अंग्रेजों को अंग्रेजों के ही हथियार से चित कर दें उसके बाद आधुनिक शिक्षा के विरोध में सर सैयद अहमद खान के खिलाफ फतवा जारी किया गया था। इसी तरह देश के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद के खिलाफ भी फतवा जारी किया गया था जब उन्होंने पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया था।
ताजा मामले में के इमाम ने फतवे से इनकार करते हुए कहा है कि उन्होंने राम मंदिर जाकर इस्लाम और भारत दोनों की उदारता वादी प्रवृत्ति को अपनाया है और वह अतिवादियों की धमकियों से नहीं डरते हैं क्योंकि वे इस्लाम के उसूल हब्बुल वतनी है और निस्फुल ईमान में विश्वास करते हैं जिसका अर्थ है कि वतन से वफादारी क्योंकि वतन है तो मस्जिद खानगाहे मकतब और मदरसे सब कुछ है। पिछले लगभग 20 वर्ष से इमाम इलियासी सद्भाव संभव समरसता के रास्ते पर चलते हुए मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा चर्च सिनेगो आदि जाते हैं इलियासी को इससे पहले फतवा तब दिया गया था जब उन्होंने एक मदरसे में आरएसएस के सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत को बुलाकर बच्चों को आशीर्वाद दिलाया था और कहा था कि वह राष्ट्रपिता है क्योंकि वे धर्म और पंथ से ऊपर उठकर सब की भलाई के बारे में सोचते हैं। उल्लेखनीय है कि के इमाम उमर अहमद इलियासी के पिता इमाम जमील इलियासी के साथ आरएसएस के पूर्व सरसंघचालक प्रोफेसर राजेंद्र सिंह उर्फ राजू भैया के साथ प्रगाढ़ संबंध थे।
इमाम ने कहा कि यह प्राण प्रतिष्ठा मात्र मंदिर का नहीं है, यह एक नए भारत की प्राण प्रतिष्ठा है मैंने ही नहीं बहुत से मुसलमानों ने इसका मान सम्मान करते हुए इसमें भाग लिया है उन्होंने कहा कि मैं इस्लाम कुरान और हजरत मोहम्मद से सीखता हूं ना कि पत्रों की क्लासों से और सर तन से जुदा आदि धमकियों से करपी नहीं घबराता क्योंकि भारत के संविधान में मेरी पूर्ण आस्था है। उन्होंने कहा है कि मैं अयोध्या में पूर्ण भारत और विश्व के मुसलमान का नेतृत्व किया है सभी भारतीयों के बीच नफरत की दीवारों को ध्वस्त कर मोहब्बत को संरक्षण देना चाहते हैं। यदि यह कहा जाए की अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की गतिविधि देश के इतिहास की अतीबिलक्ष्ण उपलब्धि थी जिसका 500 सालों से इंतजार था उसमें जाने से यह संदेश गया है कि सभी धर्म समान हैं और हमें सभी धर्म का सम्मान करना है।
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