असम में मानव-हाथी टकराव का एक लंबा इतिहास रहा है, और बरुआ ने उन्हें कंट्रोल करने के लिए सरकारी नियमों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।
भारत की पहली महिला महावत और एलिफेंट गर्ल के नाम से फेमस पारबती बरुआ को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया है। 67 साल की बरुआ असम की रहने वाली हैं। बरुआ का जन्म गोलपाड़ा जिले के गौरीपुर शाही परिवार में हुआ है। इन्होंने मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में लगभग 40 साल बिताए। साथ ही इस पेशे में लैंगिक रूढ़िवादिता के खिलाफ लड़ाई भी लड़ी। दरअसल, असम में मानव-हाथी टकराव का एक लंबा इतिहास रहा है, और बरुआ ने उन्हें कंट्रोल करने के लिए सरकारी नियमों को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई है।
पारबती बरुआ जंगली हाथियों को काबू करने में माहिर मानी जाती हैं। जंगली हाथियों के व्यवहार पर उनकी विशेषज्ञता ने उन्हें न केवल असम में बल्कि साउथ के कई राज्यों में प्रसिद्ध है। पारबती बरुआ ने जंगली हाथियों को कृषि क्षेत्रों से जंगलों में वापस खदेड़ने में भी वन विभाग के अधिकारियों की काफी मदद की है। ‘क्वीन ऑफ द एलिफेंट्स’ ब्रिटिश ट्रैवल राइटर और प्रकृतिवादी मार्क रोलैंड शैंड ने उनके बारे में लिखी गई किताब का टाइटल है, जो 1996 में प्रकाशित हुई थी। इसके बाद बीबीसी ने इन पर एक डॉक्यूमेंट्री भी बनाई थी ,जिसे बहुत सराहा गया है।
एशियाई एलिफेंट एक्सपर्ट ग्रुप की सदस्य हैं
बता दें कि देश की पहली महिला महावत के रूप में अपनी पहचान बनाने के बाद बरुआ ने अपना जीवन पशु संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया है। मालूम हो कि मौजूद सामय में वह इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर के एशियाई एलिफेंट एक्सपर्ट ग्रुप (आईयूसीएन) की सदस्य हैं। गौरतलब है कि पद्म सम्मानत से उनके परिवार को दूसरी बार सम्मानित किया गया है। केंद्र सरकार ने पहले फेमस फोक सिंगर प्रतिमा पांडे बरुआ और उनकी बहन को भी पद्मश्री से सम्मानित किया था।