ताजमहल को लेकर अक्सर विवाद खड़े होते रहते हैं कि यह प्राचीन शिव मंदिर को तोडक़र बनाया गया है। इतिहासकार ओक ने तो अपनी पुस्तक तेजोमहालय में यह दावा किया ही है, कुछ दिनों पूर्व न्यायालय ने भी इसके 22 कमरों को खोलने का आदेश दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने आगरा के ताजमहल को लेकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को आदेश दिया था कि इसके 22 कमरों को खुलावाकर जांच की जाए। जिससे पता चल सके कि इसमें हिंदू देवताओं की मूर्तियां तो नहीं है। हांलाकि इतिहासकार पीएन ओक सबसे पहले अपनी पुस्तक में दावा करते हैं कि ताजमहल के हिंदू मंदिर होने के 700 से अधिक प्रमाण मौजूद हैं। इसके लिए वह मुगलकालीन अनेक पुस्तकों की भी चर्चा करते हैं। हांलाकि एक जगह यह भी लिखा गया है कि जयपुर के राजा से इस इमारत को प्राप्त करने के बाद शाहजहां ने यहां पर अपनी लूट की अकूत सम्पत्ति को छिपा दिया था।
शाहजहां के दबाव में देना पड़ा मंदिर
शाहजहां के दरबारी लेखक मुल्ला अब्दुल हमीद लाहौरी ने शाहजहां के राजकाज को 1000 पन्नों में बादशाहनामा में लिखा है। इसमें वह लिखता है कि शाहजहां की बेगम मुमताज उज्जमानी की मौत के बाद उसे मध्यप्रदेश में अस्थायी रुप से दफना दिया गया। इसके छह माह बाद जब ताजमहल बन गया तो इमारते आलीशान में उसकी लाश को दफनाया गया। यह इमारते आलीशान ही ताजमहल है। राजा जयसिंह अपने पुरखों की इस इमारत से बेहद प्यार करते थे लेकिन शाहजहां के दबाव में यह जगह सौंपनी पड़ी थी। जयपुर के पूर्व महाराजा के गुप्त संग्रह में वह पत्र आज भी रखे हुए हैं जो शाहजहां ने राजा जय सिंह को लिखकर यह जगह मांगा था।
मुमताज की मौत और ताजमहल के निर्माण में फर्क
इतिहास के अनुसार मुमताज की मौत 1631 में हुई और उसे मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में दफनाया गया। फिर छह माह बाद से ताजमहल में दफनाया गया, जबकि ताजमहल का निर्माण ही 1632 में शुरू हुआ था जो 1653 तक चलता रहा था। एक तर्क यह भी है कि शाहजहां के पैदा होने से 300 साल पहले वह इमारत खड़ी थी, कारण कि ताजमहल के पीछे के दरवाजे जो यमुना की तरफ खुलते हैं उनकी कार्बन डेटिंग में यह खुलासा हुआ है। यह बात ओक अपनी पुस्तक में लिखकर दावा करते हैं कि यह शिवमंदिर था। इसके गुंबद और शिवलिंग पर गिरने वाले जल कलश की जंजीर इसका सबूत है।
गुलबदन बेगम का रहस्य महल
विंसेंट स्मिथ अपनी पुस्तक अकबर द ग्रेट में लिखते हैं कि बाबर ने 1630 में अपने उपद्रवी जीवन से आगरा के वाटिका वाले महल में मुक्ति पाई। यह इतना विशाल था कि उस जमाने में उससे बड़ा कोई इमारत नहीं था। बाबर की पुत्री गुलबदन बेगम में हुमायूनामा में इसे रहस्य महल लिखा है। आगरा को अंगीरा ऋ षि की तपोस्थली के रुप में जाना जाता है जो कि भगवान शिव के उपासक थे। इतिहासकार ओक के अनुसार आगरा में पांच शिव मंदिर हुआ करते थे जिनमें वर्तमान में चार बचे है। पांचवा शिव मंदिर को तोडक़र ताजमहल बना दिया गया था। बालकेश्वर, मनकामेश्वर, राजराजेश्वर और पृथ्वीनाथ यह चार मंदिर आगरा में हैं। जबकि पांचवा नागनागेश्वर को मजार में बदलकर प्रेम की निशानी ताजमहल बना दिया गया।
जलाशयों के किनारे मंदिर ही होते थे
ओक का दावा है कि हिंदू मंदिर जलाशयों, नदियों के किनारे हुआ करते हैं। कोई मस्जिद या मकबरा वहां पर क्यों बनाया जाएगा। ताजमहल में एक स्थान है जहां गौशाला हुआ करता था जो पालतू पशुओं के नाम से आज भी है। आखिर मकबरे में गौशाला का क्या काम हो सकता है। इतिहासकार ओक ने 700 प्रमाणों को अपनी पुस्तक में देते हुए इसे शिव मंदिर साबित किया है। लेकिन असली रहस्य उन कमरों में कैद है जो सदियों से खोले नहीं गए हैं।