अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में का न्योता ठुकराने पर असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कांग्रेस चौतरफा घेर लिया है। वहीं असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि कांग्रेस को अपने पापों को सुधारने का एक सुनहरा अवसर विश्व हिंदू परिषद् ने दिया था। लेकिन वे इससे चूक गए। मुझे उनके लिए दया और गहरा दुख है ।
‘एक्स’ पर ट्वीट करते हुए बोले
उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा कि कांग्रेस इस निमंत्रण को स्वीकार कर प्रतीकात्मक रूप से हिंदू समाज से माफी मांग सकती थी। उन्होंने कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश की ओर से जारी बयान भी शेयर किए, जिसमें पार्टी नेताओं सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और अधीर रंजन चौधरी को मिले निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया गया था।
पाप कम करने से चूक गई कांग्रेस- सरमा
उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि आने वाले सालों और दशकों तक कांग्रेस को हिंदू विरोधी पार्टी माना जाता रहेगा। दुख भी होता है क्योंकि हिंदू सभ्यता का सम्मान करने के लिए किसी को मुस्लिम विरोधी होना जरूरी नहीं है। उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद ने जाने-अनजाने में कांग्रेस नेतृत्व को श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में शामिल होने का निमंत्रण देकर उसके कुछ पाप कम करने का सुनहरा मौका प्रदान किया था। कांग्रेस शुरुआत से ही अयोध्या में राम मंदिर के बारे में अपने विचारों को लेकर इस तरह के निमंत्रण की हकदार नहीं थी।
निमंत्रण की हकदार नहीं थी कांग्रेस
सरमा ने दावा किया कि कांग्रेस शुरुआत से ही अयोध्या में राम मंदिर के बारे में अपने विचारों को लेकर इस तरह के निमंत्रण की हकदार नहीं थी। शर्मा ने गुवाहाटी में प्रेस वार्ता सम्मेलन में कहा, यह परंपरा (हिंदू समुदाय का विरोध करने की) पंडित (जवाहरलाल) नेहरू की ओर से उस समय शुरू की गई थी जब उन्होंने (मई 1951) में सोमनाथ मंदिर समारोह का बहिष्कार किया था। वही परंपरा कांग्रेस की वर्तमान पीढ़ी के साथ जारी है। पं. नेहरू ने सोमनाथ मंदिर के साथ जो किया, वही कांग्रेस नेतृत्व राम मंदिर के साथ कर रहा है।