गुरुग्राम प्रतिवर्ष 15 सितम्बर को अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया जाता है। लोकतंत्र एक ऐसी प्रणाली है, जिसमें किसी भी देश के नागरिक अपने मताधिकार का प्रयोग कर एक प्रतिनिधि को चुनते हैं। लोकतंत्र का मतलब होता है, न कोई राजा और न कोई गुलाम इसमें सब एक समान हैं। हर व्यक्ति को अपना बात रखने का पूर्ण अधिकार है। अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर उक्त विचार व्यक्त करते हुए नवजन चेतना मंच के संयोजक वशिष्ठ कुमार गोयल ने कहा कि प्रसिद्ध विचारक अब्राहम लिकंन ने लोकतंत्र की परिभाषा देते हुए कहा था कि लोकतंत्र का मतलब होता है, जनता द्वारा जनता का शासन। लोकतंत्र दिवस का मुख्य उद्देश्य पूरे विश्व में लोकतंत्र को बढ़ावा देना है। वर्ष 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस की शुरुआत की गई थी। सबसे पहले 2008 में अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस मनाया गया। इसके तहत दुनिया के हर कोने में सुशासन लागू करना है। उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र कहा जा सकता है, क्योंकि यहां लगभग करोड़ों लोग अपने मत का प्रयोग करके सरकार को चुनते हैं। गोयल का कहना है कि विश्व में 2 तरह की लोकतंत्र प्रणाली है। एक संसदीय शासन प्रणाली और दूसरा राष्ट्रपति शासन प्रणाली। लेकिन दोनों ही प्रणालियों में जनता अपने मताधिकार का प्रयोग कर अपने देश के जनप्रतिनिधि को चुनती है जो जनता के लिए काम करे। भारत, कनाडा, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में संसदीयशासन प्रणाली है, जबकि अमेरिका में राष्ट्रपति शासन प्रणाली है। राष्ट्रपति शासन प्रणाली में सारे निर्णय राष्ट्रपति के द्वारा लिए जाते हैं जबकि संसदीय शासन प्रणाली में राष्ट्रपति के पास ये शक्ति नहीं होती है। 1947 में देश आजाद होने के बाद संविधान सभा ने एकमत से लोकतांत्रिक देश बनाने की इच्छा व्यक्ति की। उसके बाद सबसे पहले देश में 1951-1952 में चुनाव हुए। लोकतंत्र वह कड़ी है जिसकी वजह से इतनी विविधता के बाद भी देश एक सूत्र में बंधा हुआ है। लोकतंत्र के तहत कोई भी व्यक्ति जो सरकार के काम से संतुष्ट नहीं है अपनी बात सबके सामने रख कर शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध भी प्रकट कर सकता है। भारत देश की संसदीय प्रणाली विश्व में एक उदाहरण के तौर देखी जाती है।