दिल्ली, मुंबई या बेंगलुरु हो, हर जगह मेट्रो को आपने या तो अंडरग्राउंड देखा है या फिर एलिवेटेड। पहली बार भारत में मेट्रो नदी के अंदर से गुजरेगी। कोलकता मेट्रो का दावा है कि इससे घंटों का सफर मिनटों में तय किया जाएगा। अब हुगली नदी मात्र चंद मिनटों में मेट्रो पार हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार (6 मार्च 2024) यानि कल कोलकाता मेट्रो के हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड सेक्शन का उद्घाटन करेंगे।
नदी के नीचे बनने वाली पहली परिवहन सुरंग
हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड मेट्रो खंड भारत में नदी के नीचे बनने वाली पहली परिवहन सुरंग है। यह हुगली नदी के नीचे से गुजरती है। जिसके पूर्वी और पश्चिमी तट कोलकाता और हावड़ा शहर से सटे हुए हैं। जानकारी के मुताबिक हावड़ा मेट्रो स्टेशन भारत में सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन है। इस बीच कोलकाता मेट्रो ने कहा कि इस बनाने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
सुरंग इतनी मंजिल इमारत के बराबर
सुरंग सतह से लगभग 33 मीटर यानी करीब 11 मंजिली इमारत के बराबर नीचे है। हावड़ा से एस्प्लेनेड तक का कुल मार्ग 4.8 किलोमीटर लंबा है। आधा किलोमीटर लंबी इस पानी के अंदर की सुरंग से यात्री 1 मिनट से भी कम समय में गुजरेंगे। यह सुरंग 120 साल का आंकलन करके बनाई गई है।
तकरीबन 7 लाख लोग कर सकेंगे यात्रा
कोलकाता मेट्रो के जनरल मैनेजर उदय कुमार रेड्डी ने कहा कि हमने रात के 12 बजे तक काम किया है। हमने काफी मुश्किलों का सामना किया है तो उम्मीद है कि लोगों को खुशी होगी। अभी हम अनुमान लगा पाए हैं कि इसमें तकरीबन 7 लाख लोग यात्रा कर पाएंगे। वहीं रेलवे बोर्ड के सदस्य-इंफ्रास्ट्रक्चर अनिल कुमार ने मीडिया को बताया कि हमने बहुत जांच-परख और गहन स्टडी के बाद तय किया गया कि हावड़ा मैदान-एस्प्लेनेड बनाया जाएगा।
पीएम मोदी इस मेट्रो का भी करेंगे उद्घाटन
पीएम मोदी बंगाल में कवि सुभाष-एयरपोर्ट लाइन के कवि सुभाष-हेमंत मुखोपाध्याय मेट्रो खंड और तारातला-माझेरहाट खंड का भी उद्घाटन करेंगे। तारातला-माझेरहाट खंड, जोका-एस्प्लेनेड लाइन का हिस्सा है।
जर्मनी से तैयार टीबीएम
टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन में जर्मनी को महारथ हासिल है। इसे जर्मनी से अपनी जरूरत के अनुसार मशीन डिजाइन कराई गई थी। इसकी खासियत यह थी कि मिट्टी काटने के साथ-साथ निर्मित हिस्से को सील करती जाती थी। जिससे अगर कटिंग के दौरान पानी आता तब भी तैयार हो चुके टनल के हिस्से में नहीं जाता। उन्होंने बताया कि टनल में बाद में भी कभी पानी न आए, इसके लिए पहली बार ज्वाइंट में हाइड्रोफिलिक गास्केट का इस्तेमाल किया गया, जो पानी के संपर्क में आते ही 10 गुना अधिक फैल जाएगा, यानी पानी के संपर्क में आते ही पहले से ज्यादा वाटर प्रूफ हो जाएगा। हुगली के नीचे बनी सुरंग की लंबाई 520 मीटर और ऊंचाई 6 मीटर है।