किसान आंदोलन और किसान नेताओं के बंटे होने की बात भी सामने आई है. संयुक्त किसान मोर्चा ने शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान संगठनों पर लगाए गंभीर आरोप है. संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि तमाम किसान संगठनों और उनके नेताओं के साथ बैठक का जो ब्योरा जारी किया गया है, वो ज्यादातर दिल्ली कूच का फैसला लेने से पहले का है.
पंजाब के लुधियाना में हुई बैठक के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की तरफ से किसान आंदोलन के मुद्दों के समाधान के लिए आठ बिंदुओं वाला एक समाधान प्रस्ताव संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा को सौंपा गया है. एसकेएम की छह सदस्यों वाली कमेटी की तरफ से ये प्रस्ताव शंभू बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे KMM (किसान मजदूर मोर्चा) के किसान नेताओं को सौंपा गया है. इस प्रस्ताव को एक ऐसे दृष्टिकोण के तौर पर बताया जा रहा है जो संघर्ष का एक सही आधार और रास्ता मुहैया करवाने वाला है.
कमेटी की तरफ से जिन 8 बिंदुओं को इसमें शामिल किया गया है, वो साल 2020-2021 के दौरान हुए किसान प्रदर्शन के अहम तत्वों पर आधारित हैं. संयुक्त किसान मोर्चा ने संगठनिक ढांचा, संघर्ष की मांगों को ध्यान में रखना, केंद्र सरकार को संघर्ष का मुख्य निशाना बनाना, देशभर के किसानों विशेषकर पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी, दिल्ली कूच के दौरान केंद्र सरकार की तरफ से रास्ता रोकने की तरकीबों का ठंडे दिमाग से समाधान निकालना, अनुशासन में रहकर प्रदर्शन को आगे बढ़ाना और साल 2021 में भड़काऊ शक्तियों से हुई हार के अलावा सफल एकजुट किसान संघर्ष का जिक्र किया है.
संयुक्त किसान मोर्चा ने लगाए आरोप
वहीं, किसान आंदोलन और किसान नेताओं के बंटे होने की बात भी सामने आई है. संयुक्त किसान मोर्चा ने शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान संगठनों पर लगाए गंभीर आरोप है. SKM ने शंभू बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान नेताओं सरवन पंढेर और जगजीत डल्लेवाल को पत्र लिखकर कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा को तोड़ने की कोशिशें बंद की जाएं. डल्लेवाल-पंढेर के दोनों मंचों का ये दावा सही नहीं है कि उन्होंने “दिल्ली कूच” के आह्वान से पहले इस समाधान को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ जोड़कर एक संयुक्त समाधान बनाने की पहल की है.