गुरुग्राम, संत शिरोमणी रविदास जी की 646वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश के विभिन्न स्थानों पर कार्यक्रम आयोजित कर संत रविदास के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया। इतना ही नहीं प्रदेश सरकार द्वारा भी इस जयंती समारोह को भव्य स्तर पर मनाया गया। इसी क्रम में प्रदेश की कला और संस्कृति के विस्तार के लिए अग्रसर हरियाणा कला परिषद द्वारा जैकबपुरा क्षेत्र में संत गुरु रविदास सभा के सहयोग से जयंती का आयोजन किया गया, जिसमें भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में प्रदेश के लोकवाद्ययंत्र बीन, बंचारी तथा घोड़ी नृत्य के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियों से चार चांद लगाए। संत रविदास की जयंती पर हरियाणा कला परिषद के निदेशक डा. संजय भसीन ने कहा कि संत रविदास के विचारों का विस्तार असीम है। उनके दर्शन और विचार सदैव प्रासंगिक हैं। उन्होंने ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहां किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो। सामाजिक सुधार और समरसता के लिए वह आजीवन प्रयासरत रहे। भसीन ने कहा कि संत रविदास कहते भी थे कि ऐसा चाहूं राज मैं, जहां मिले सभन को अन्न, छोटे बड़ों सब समान बसे, रविदास रहे प्रसन्न। आज के दौर में संत रविदास के न्याय, समानता और सेवा पर आधारित विचारों का भाव पूरी तरह से समाहित है। आजादी के अमृत कालखंड में संत रविदास के मूल्यों से प्रेरणा लेकर एक सशक्त और भव्य राष्ट्र के निर्माण की दिशा में देश अग्रसर हैं।