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यूपी में इन सीटों पर होगी असली परीक्षा, गढ़ बचाने के गुणा-गणित में जुटी पार्टियां

राजनीतिक पार्टियां यूपी में अपना-अपना गढ़ बचाने को लेकर हर दांव-पेंच खेलने को तैयार है। सभी अपने-अपने स्तर पर गुणा-गणित लगाने में जुटी हुई हैं। आज हम आपको यूपी की कुछ ऐसी सीटों की चर्चा करेंगे जो किसी न किसी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है।

लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही राजनीतिक सरगर्मीयां तेज हो गई हैं। पार्टीयों ने युद्धस्तर पर अपनी तैयारीयां शुरू कर दी हैं। आज शाम 6 बजे बीजेपी की केंद्रिय चुनाव समिति की बैठक होने वाली है, जिसमें यूपी की 29 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की चर्चा हो सकती है। साथ ही दूसरी तरफ आज कांग्रेस की भी अहम बैठक होने वाली है, जिसमें रायबरेली और अमेठी जैसी हॉट सीटों के लिए उम्मीदवारों के चेहरों पर मुहर लगाई जा सकती है। लोकसभा चुनाव की तारीख अब किसी भी दिन घोषित की जा सकती है। ऐसे में राजनीतिक पार्टियां यूपी में अपना-अपना गढ़ बचाने को लेकर हर दांव-पेंच खेलने को तैयार है। सभी अपने-अपने स्तर पर गुणा-गणित लगाने में जुटी हुई हैं। आज हम आपको यूपी की कुछ ऐसी सीटों की चर्चा करेंगे जो किसी न किसी पार्टी का गढ़ माना जाता रहा है।

लखनऊ: बीते 28 सालों से राजधानी लखनऊ भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है। 1996 से अब तक लखनऊ लोकसभा सीट पर भाजपा का ही कब्जा रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट से लगातार 5 बार सांसद रहे। और जब स्वास्थ्य कारणों से जब उन्होंने सीट छोड़ी तो इस सीट से लालजी टंडन ने चुनाव लड़ा और जीते। और अब पिछले दो लोकसभा चुनवों से इस सीट पर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपना कब्जा जमाया हुआ है। इस बार भी बीजेपी ने उनपर भरोसा जताते हुए इस सीट से चुनावी मैदान में उतारा हैै। वहीं सपा ने इस बार रविदास मल्होत्रा को इस सीट से अपना उम्मीदवार घोषित किया है।

रायबरेली: इस सीट को हमेशा से कांग्रेस परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। साल 1977, 1966 और 1998 को छोड़ कर सभी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत मिली है। बीते चार बार से इस सीट पर कांग्रेस नेत्री सोनिया गांधी का कब्जा रहा है। इस बार उन्होंने स्वास्थय का हवाला देते हुए चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था। अब इस बार देखना होगा की सोनिया गांधी के बिना इस सीट पर कांग्रेस कैसी रणनीति अपनाती है।

अमेठी: यूपी की इस सीट पर भी कांग्रेस का दबदबा रहा है। इस सीट पर हमेशा से कांग्रेस की ही जीत होती रही है। गांधी परिवार के राजीव गांधी से लेकर राहुल गांधी इस सीट से चुनाव जीत चुके हैं। राहुल की राजनीतिक सफर की शुरूआत भी इसी सीट से हुई है। लेकिन, साल 2019 में बीजेपी ने इस सीट पर राहुल गांधी को 55 हजार वोटों से हराया था। अब इस बार राहुल गांधी को वायनाड की सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया है। ऐसे में देखना होगा कि इस बार अमेठी सीट बीजेपी अपना कब्जा जमाए रहती है या कांग्रेस अपने गढ़ में वापसी कर सकेगी।

आजमगढ़: इस सीट को सपा और बसपा का गढ़ माना जाता रहा है। तीन बार इस सीट से बसपा के उम्मीदवार ने जीत हासिल की तो वहीं सपा भी यहां से चार बार जीत दर्ज कर चुकी है। साल 2014 में इस सीट से सपा के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने जीत दर्ज की थी। और फिर इसी सीट से 2019 में वर्तमान सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव चुनाव जीत कर सांसद बनें। अब इस बार यह सीट फिर से चर्चा में है।

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