मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी बाजपेई, नानाजी देशमुख, लता मंगेशकर, प्रणव मुखर्जी, लालकृष्ण आडवाणी और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देकर भाजपा देश और दुनिया को क्या संदेश देना चाहती है। बता रहे हैं वरिष्ठ संवाददाता मार्कण्डेय पाण्डेय।
पिछली कांग्रेस सरकार की तुलना में नरेंद्र मोदी सरकार ने लगभग दोगुना नागरिक पुरस्कार दिया है। जिसमें मनमोहन सरकार ने तीन लोगों को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया तो मोदी सरकार ने छह लोगों को भारत रत्न से नवाजा है। यहां तक कि मोदी सरकार ने गैर भाजपा और अपनी पार्टी के विचारधारा से इतर लोगों को भी भारत रत्न ने सम्मानित किया है। जिसमें कांग्रेस नेता रहे और पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी हैं तो बिहार में समाजवादी नेता कहे जाने वाले नाई बिरादरी के कर्पूरी ठाकुर को भी मरणोपरांत भारत रत्न देने की घोषणा की गई है।
कर्पूरी ठाकुर को बिहार में जननायक एक वर्ग मानता है। दरअसल मंडल राजनीति से पहले ही ठाकुर ने सामाजिक न्याय का फार्मूला बिहार में लागू कर दिया था। इस साल देशभर में लोक सभा चुनाव होने हैं और इसके ठीक पहले समाजवादी नेता को भारत रत्न देने की भाजपा की घोषणा ने बड़ा सियासी संदेश दिया है। मोदी सरकार पहली बार प्रतीक और पुरस्कारों का इस्तेमाल राजनैतिक संदेश देने में कर रही है। अगर मोदी सरकार में छह भारत रत्न का विश्लेषण करें तो सभी के अपने-अपने मायने हैं। हांलाकि बिहार के नेता कर्पूरी ठाकुर महज एक सूबे के नेता रहे हैं और उनकी अखिल भारतीय छवि नहीं रही है। राष्ट्रीय राजनीति में उनकी कोई सक्रियता नहीं रही है, इसके बावजूद उनको भारत रत्न से नवाजना शुद्ध रुप से सियासी समीकरणों को साधने की कवायद है।
मोदी और मनमोहन
मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल में कुल छह लोगों को भारत रत्न दिया गया है। जबकि मनमोहन सरकार के दस साल के कार्यकाल में कुल तीन लोग इस पुरस्कार से नवाजे गए हैं। मोदी सरकार में मदन मोहन मालवीय, अटल बिहारी बाजपेई, नानाजी देशमुख, लता मंगेशकर, प्रणव मुखर्जी को भारत रत्न दिया। तो अब चुनावी साल में लालकृष्ण आडवाणी और कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा हुई है। मनमोहन सिंह के नेतृत्व में केेंद्र में 2004 से 2014 तक यूपीए की सरकार थी। इस दौरान दस सालों में तीन लोगों को सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया। 2009 में शास्त्रीय संगीत के पंडित भीमसेन जोशी, 2014 में सचिन तेंदुलकर और वैज्ञानिक सीएनआर राव को यह पुरस्कार दिया गया।
भारत रत्न को लेकर दस महत्वपूर्ण बातें
1.भारत रत्न 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिया जाता है।
2. सबसे पहला पुरस्कार प्रसिद्ध वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन को दिया गया था। तब से अनेक विशिष्ट जनों को अपने-अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता पाने के लिए यह पुरस्कार प्रस्तुत किया गया है।
3. जनता पार्टी द्वारा इस पुरस्कार को 1977 में बंद कर दिया गया था, किंतु 1980 में कांग्रेस सरकर ने इसे फिर से दोबारा शुरू किया।
4. जब साल 1980 में भारत रत्न पुरस्कार फिर से शुरू हुआ तो, इसे सर्वप्रथम मदर टेरेसा ने प्राप्त किया था।
5. हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति, वैज्ञानिक डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम को भी 1997 में यह प्रतिष्ठित पुरस्कार दिया गया।
6. इसका कोई लिखित प्रावधान नहीं है कि ‘भारत रत्न’ केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाएगा।
7. यह पुरस्कार स्वाभाविक रूप से भारतीय नागरिक बन चुकी ‘एग्नेस गोंखा बोजाखियू’, जिन्हें हम मदर टेरेसा के नाम से जानते हैं, को दिया गया।
8. दो अन्य गैर-भारतीय – ख़ान अब्दुल गफ़्फ़ार ख़ान को 1987 में और नेल्सन मंडेला को 1990 में यह पुरस्कार दिया गया। यह भी अनिवार्य नहीं है कि भारत रत्न सम्मान प्रतिवर्ष दिया जाएगा।
9. एक वर्ष में अधिकतम तीन व्यक्तियों को ही भारत रत्न दिया जा सकता है।
10. मरणोपरांत सर्वप्रथम लालबहादुर शास्त्री को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।