बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने आने वाले लोकसभा चुनाव को अपने बलबूते पर लड़ने का फैसला किया है। वहीं उन्होंने कहा कि बसपा ने जितनी बार उन्होंने दूसरे दलों के साथ गठबंधन किया उन्होंने उतनी बार धोखा खाया है। बसपा सुप्रीमो ने यूपी और उत्तराखंड के पदाधिकारियों के साथ मीटिंग करके चुनावी तैयारियों की समीक्षा ली। जिसके बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने दोहराते हुए कहा कि वह किसी भी दल से चुनावी गठबंधन या समझौता नहीं करेंगी।
गठबंधन से जुड़े कड़वे अनुभवों के चलते कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट जाता है जिससे पार्टी के मिशन पर भी गहरा असर पड़ता है। उन्होंने मुद्दों को लेकर पार्टी कार्यकर्ताओं को जनता के बीच जाने का निर्देश दिया है। बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जिस तरह से पहले राजनीति का अपराधीकरण हुआ और इसके बाद अपराध का राजनीतिकरण किया गया। अब उसी तरह धर्म का भी राजनीतिकरण किया जा रहा है।
पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय
पार्टी ने अकेले दम पर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है, इसलिए कार्यकर्ताओं पर ही बेहतर परिणाम लाने की जिम्मेदारी है। देश में कमरतोड़ महंगाई, गरीबी, बेरोजगारी से करीब 81 करोड़ जनता बेहाल है। मौजूदा सरकार ने इन्हें सरकारी अनाज के भरोसे छोड़ दिया है। इनके स्थायी रोजी-रोटी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। देश के करोड़ों किसानों, मजदूरों, गरीबों और मेहनतकश लोगों का हित प्रभावित हो रहा है।
पार्टी के लोगों पर बेहतर परिणाम लाने की जिम्मेदारी
मायावती ने कहा कि ऐसी स्थिति में पार्टी के लोगों पर बेहतर परिणाम लाने की जिम्मेदारी है इसलिए कार्यकर्ताओं को मीडिया की ओर से फैलाई गई सभी प्रकार की अफवाहों से निपटना होगा। उन्होंने बसपा कार्यकर्ताओं से संगठित होकर काम करने और विपक्षी दलों के साम, दाम, दंड, भेद आदि हथकंडों से दूर रहने को कहा है। पदाधिकारियों को हर दिन सेक्टर व बूथ स्तर पर छोटी-छोटी कैडर की मीटिंग के निर्देश दिए गए है। यह मीटिंग हर एक विधानसभा क्षेत्र में होगी और प्रत्येक जातियों को जोड़ने पर जोर दिया जाएगा।