म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक तीन विद्रोही समूहों के गठबंधन थ्री ब्रदरहुड एलायंस ने हाल में म्यांमार की सेना के क्षेत्रीय मुख्यालय वाले एक महत्वपूर्ण शहर लौकई पर कब्जा कर लिया है। उधर, अराकान आर्मी ने भारत व बांग्लादेश की सीमा से लगते पलेतवा शहर पर भी कब्जे का दावा किया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत और म्यांमार के बीच खुली सीमा पर कांटेदार बाड़ लगाई जाएगी और मुक्त आवाजाही के समझौते पर भी पुनर्विचार किया जाएगा। शाह ने कहा कि सीमा को ‘बांग्लादेश सीमा की तरह संरक्षित’ किया जाएगा। आखिर, यह करने की जरूरत क्यों पड़ रही है? म्यांमार के साथ चार भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मणिपुर और मिजोरम सीमा साझा करते हैं।
क्या म्यांमार का विद्रोही संकट भारत तक फैल रहा है…दोनों देश 1,643 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं और भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी के हिस्से के रूप में 2018 से उनके पास मुक्त आवाजाही व्यवस्था है। इससे सीमा पर रहने वाले दोनों देशों के निवासियों को बिना वीजा के एक-दूसरे के क्षेत्र में 16 किमी तक यात्रा करने की अनुमति मिलती है। समझौता खत्म होने से यह आवागमन बंद हो जाएगा।
म्यांमार में क्या कर रहे हैं विद्रोही गुट?
म्यांमार में लोकतंत्र समर्थक तीन विद्रोही समूहों के गठबंधन थ्री ब्रदरहुड एलायंस ने हाल में म्यांमार की सेना के क्षेत्रीय मुख्यालय वाले एक महत्वपूर्ण शहर लौकई पर कब्जा कर लिया है। उधर, अराकान आर्मी ने भारत व बांग्लादेश की सीमा से लगते पलेतवा शहर पर भी कब्जे का दावा किया है। गठबंधन का दावा है कि उन्होंने देश भर के 42 शहरों को सैन्य कब्जे से छीन लिया है। गठबंधन में अराकान आर्मी, म्यांमार डेमोक्रेटिक अलायंस आर्मी और ताउंग नेशनल लिबरेशन आर्मी शामिल हैं। साल 2021 में चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर सत्ता हथियाने वाली सेना संकट में है। सैनिक डरकर भाग रहे हैं।