महाराष्ट्र विधानसभा के एक दिवसीय विशेष सत्र में मराठा आरक्षण विधेयक (बिल) सर्वसम्मति से पारित हो गया। इसके साथ ही राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़कर 72 फीसदी हो गया है। इस बीच, मुस्लिम समुदाय को भी पांच फीसदी आरक्षण देने की मांग जोर पकड़ रही है। वहीँ, धनगर समुदाय भी अपने अलग कोटा की मांग को लेकर कई बार प्रदर्शन कर चुका है।
महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों के साथ ही शैक्षणिक संस्थानों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अति पिछड़ा वर्ग और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण देने की व्यवस्था है। हालांकि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत तय है। लेकिन देश के 22 राज्यों में इस सीमा से बढ़कर आरक्षण दिया गया है।
महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में 70 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देने के लिए खास कानून लाया गया है। यानी महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों में अब कुल 72 फीसदी पदों पर आरक्षण होगा। हालांकि राष्ट्रीय स्तर पर किसी भी नौकरी के लिए यह रिजर्वेशन पॉलिसी फॉलो नहीं होगी।
मराठा आरक्षण की 10 साल में समीक्षा
महाराष्ट्र विधानसभा में मंगलवार को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने वाला विधेयक एक सुर में पास हो गया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दोपहर में सदन में महाराष्ट्र राज्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ा विधेयक 2024 पेश किया। इस विधेयक में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि आरक्षण लागू होने पर 10 साल बाद इसकी समीक्षा की जा सकती है। राज्य में मराठा समुदाय की आबादी 28 प्रतिशत है।
महाराष्ट्र में किसे कितना आरक्षण मिल रहा है?
महाराष्ट्र में कुल जातियां- 346
अनुसूचित जाति (एससी) – 13 फीसदी
अनुसूचित जनजाति (एसटी) – 7 फीसदी
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी)- 19 फीसदी
एसबीसी- 2 फीसदी
वीजेए (VJA)- 3 फीसदी
एनटीबी- 2.5 फीसदी
एनटीसी- 3.5 फीसदी
एनडीटी- 2 फीसदी
EWS (आर्थिक रूप से कमजार)- 10 फीसदी
मराठा- 10 फीसदी
महाराष्ट्र में कुल आरक्षण- 72 फीसदी
किस राज्य में कितना आरक्षण?
छत्तीसगढ़- 82 फीसदी
बिहार- 75 फीसदी
एमपी- 73 फीसदी
महाराष्ट्र- 72 फीसदी
राजस्थान- 64 फीसदी
तमिलनाडु- 69 फीसदी
गुजरात- 59 फीसदी
केरल- 60 फीसदी
हरियाणा- 60 फीसदी
झारखंड- 50 फीसदी
तेलंगाना- 50 फीसदी
उत्तर प्रदेश- 60 फीसदी