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पाकिस्तान के वोटरों ने आतंकवाद को कहा-ना, हार गया हाफिज सईद का बेटा

पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजे 12 घंटे की देरी के बाद एक-एक कर घोषित हो रहे हैं. 8 फरवरी को देश में आम चुनावों के सात-साथ सूबाई चुनाव हुए. इन चुनावों से इमरान खान की पार्टी को दूर रखने की हर मुमकिन कोशिश हुई. इस चुनाव मेें भारत की भी दिलचस्पी रही.

पाकिस्तान में आम चुनाव के नतीजे आने जारी हैं. पीटीआई के समर्थन वाले आजाद उम्मीदवारों और नवाज शरीफ की पीएमएल-एन में कांटे की टक्कर है. इस चुनाव में भारतीयों की दिलचस्पी आतंकी हाफिज सईद के कारण भी है. सईद की पार्टी पाकिस्तानी मरकजी मुस्लिम लीग ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे.

इन सीटों में एक पर हाफिज सईद का बेटा तल्हा सईद भी उम्मीदवार था. जानकारी के मुताबिक तल्हा सईद को इस चुनाव में करारी शिकस्त मिली है. सईद लाहौर की एनए-122 सीट से उम्मीदवार था मगर पाकिस्तान के वोटरों ने आतंक को ऐसा लगता है कि ना कह दिया है.

तल्हा नतीजों में छठे नंबर पर रहा. उसको महज 2,042 वोट मिले. तल्हा को हराने वाले नेता का नाम लतीफ खोसा है जो पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के करीबी माने जाते हैं. लतीफ खोसा ने लाहौर की इस सीट से 1 लाख से ज्यादा वोटों से चुनावी जीत हासिल की है.

कौन है तल्हा सईद?

तल्हा सईद लश्कर-ए-तैयबा का नंबर दो माना जाता है. हाफिज सईद के बाद उसके पूरे आतंक का साम्राज्य तल्हा सईद ही के पास है. भारत सरकार ने तल्हा को यूएपीए के तहत आतंकी घोषित कर रख है. गृह मंत्रालय की मानें तो भारत में लश्कर-ए-तैयबा के हमलों के पीछे तल्हा सईद का हाथ रहा.

तल्हा का नाम लश्कर ए तैयबा के लिए भर्ती करने और फंड जुटाने में भी आ चुका है. साथ ही, वह भारत के खिलाफ हमले की साजिश रचने वाला माना जाता है. तल्हा पर कई बार हमले हुए मगर वह बच निकला.

पाकिस्तान के चुनाव में उसने लाहौर की उस सीट से पर्चा भरा जहां से पीटीआई के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के चुनाव लड़ने की चर्चा थी. हालांकि बाद में उनकी गिरफ्तारी और एक-एक कर तीन मामलों में हुई सजी की वजह से वे चुनाव नहीं लड़ सके.

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