विश्व प्रसिद्ध जैन मुनि आचार्य विद्यासागर जी महाराज का शनिवार देर रात निधन हो गया। जैन आचार्य विद्यासागर जी महाराज कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। डोंगरगढ़ की चंद्रगिरी में उन्होंने आखिरी सांस ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज के निधन पर गहन शोक व्यक्त किया है।
जैन मुनि के पंचतत्व में विलीन होने के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने आधे दिन के शोक की घोषणा की है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक्स पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा, इस अवधि के दौरान, राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी राज्य समारोह या कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। दिल्ली में आयोजित भाजपा के राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन जैन संत आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए पीएम मोदी, केंद्रीय मंत्रियों, भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और अन्य पार्टी नेताओं के नेतृत्व में पार्टी ने एक मिनट का मौन रखा।
कर्नाटक में हुआ महाराज का जन्म
आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को शरद पूर्णिमा को कर्नाटक के बेलगांव जिले के सद्लगा ग्राम में हुआ था। दिगंबर मुनि परंपरा के आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज देश के ऐसे अकेले आचार्य थे, जिन्होंने 505 मुनियों को दीक्षा दी। आचार्य श्री कुन्थु सागर महाराज का नाम दूसरे नंबर पर आता है, उन्होंने अब तक 325 मुनियों को दीक्षा दी है। दमोह के कुंडलपुर में चल रहे महोत्सव में आचार्य श्री अब एक साथ 500 से ज्यादा दीक्षा देने जा रहे हैं। वर्तमान में आचार्य श्री का ससंघ देश का सबसे बड़ा ससंघ है। जिसमें 300 से ज्यादा मुनि श्री और आर्यिका हैं।
गुरु ज्ञान सागर महाराज ने दिया था आचार्य पद
विद्यासागर महाराज को आचार्य पद की दीक्षा आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने 22 नवंबर 1972 को अजमेर राजस्थान के नसीराबाद में दी थी। इसके बाद आचार्य श्री ज्ञान सागर महाराज ने आचार्य श्री के मार्गदर्शन में ही 1 जून 1973 को समाधि ली थी। विद्यासागर जी ने 8 मार्च 1980 को पहली दीक्षा छतरपुर में मुनि श्री समय सागर महाराज को दी। दूसरी दीक्षा सागर जिले में योग सागर और नियम सागर महाराज को दी थी। दीक्षा लेने वालों में आचार्य श्री के गृहस्थ जीवन के भाई मुनि श्री समय सागर और मुनि श्री योग सागर हैं। आचार्य श्री की दो बहनें शांता और सुवर्णा दीदी भी दीक्षा ले चुकी हैं। आचार्य श्री की ओर से पिछले 4 साल से दीक्षा नहीं दी गई। आखिरी बार उत्तरप्रदेश के ललितपुर में 28 नवंबर 2018 को दीक्षांत समारोह हुआ। इसमें 10 को मुनि दीक्षा दी गई थी।