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नगर निगम गुरुग्राम का सफरनामा,आओ चले वार्ड की ओर

जिन्होंने 5 वर्ष तक नहीं किया वार्डों का रुख, आज हाथ जोड़े घूम रहे हैं गली-गली

शहर के अधिकांश ऐसे वार्ड हैं जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव

प्रदेश की सबसे धनाढ्य नगर निगम गुरुग्राम

गुरूग्राम, प्रदेश का धनाढ्य नगर निगम का कार्यकाल गत 2 नवम्बर को समाप्त हो चुका है। इसी के साथ ही 35 चुने हुए और 3मनोनीत पार्षद अब निवर्तमान हो चुके हैं। नगर निगम चुनाव होने तक अब विकास कार्य निगमायुक्त के अधीन ही होते रहेंगे, ऐसा बताया जाता है। नगर निगम गुरुग्राम के महापौर के पद को मधु आजाद, वरिष्ठ उप महापौर के पद को प्रमिला कबलाना व उप महापौर के पद को सुनीता यादव ने सुशोभित किया। हालांकि इस कार्यकाल में भी पार्षद प्रतिनिधियों का ही दबदबा देखने को मिला। जिन पार्षदों ने5 वर्ष तक पद रहते हुए अपने वार्ड की जनता का दुख-दर्द तक नहीं जाना, अब वे निवर्तमान होने के बाद गली-गली में हाथ जोड़े अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कुछ ऐसे भी समाजसेवी उभर कर सामने आ रहे हैं जो भावी पार्षद बनने की कवायद में जुटे हुए हैं। जगह-जगह अपने होर्डिंग व बैनर लगाकर स्वयं को वार्डवासियों का हितैषी साबित कर रहे हैं। उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए प्रतिनिधि नगर निगम क्षेत्र के विभिन्न वार्डों में जो विकास कार्य जिस गति से कराए जाने थे, वे उस गति से नहीं हो पाए। आज भी शहर के अधिकांश ऐसे वार्ड हैं जहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव बदस्तूर बना हुआ है। लोगों को समय पर पेयजल आपूर्ति नहीं मिल पा रही है तो किसी वार्ड में सडक़ों की हालत जर्जर है। सीवर का पानी सडक़ पर बह रहा है तो कहीं स्वच्छता भी नाममात्र की रह गई। हालांकि इन5 वर्षों में सुविधाओं को लेकर लोगों ने अपनी आवाज बुलंद अवश्य की, लेकिन कोई सुनने को राजी ही नहीं हुआ।

प्रदेश की सबसे धनाढ्य नगर निगम – प्रदेश की सबसे धनाढ्य नगर निगम गुरुग्राम नगर निगम बताया जाता है कि गुरुग्राम नगर निगम को प्रदेश की सबसे बड़ी नगर निगम में अव्वल माना जाता है। यहां पर एक छोटे कर्मचारी से लेकर एक बड़ा अधिकारी भी अपना स्थानांतरण कराकर काम करने का इच्छुक रहता है। ऐसा देखने में आया है कि नगर निगम गुरुग्राम में वर्षों तक कई कर्मचारी जमे रहे। कहा जाता है कि गुरूग्राम में सबसे ज्यादा इनकम होती है और वो पैसा प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में विकास के लिए लगाया जाता है। लेकिन गुरूग्राम की बात करे तो यहां वार्डों का विकास की लोग आज भी राह देख रहे है। गौरतलब है कि गुरूग्राम के अंदर आज भी कुछ ऐसे वार्ड जिनकी पार्षदों ने सुध नहीं ली और आगामी समय में नगर निगम के चुनाव होना तय है। ऐसे में ये लोगों के वोट बटोरने के नाम पर तरह तरह विकास कार्य में जुट गए है। आने वाले में समय में ये लोगों के सामने हाथ जोड़ते नजर आएंगे। सवाल यह कि एक पार्षद का काम अपने वार्ड के लोगों को मूलभूत सुविधाएं सडक़  , पानी, बिजली आदि उपलब्ध करवाना होता है कई वार्डों के लोग इन सुविधाओं से आज भी वंचित है।

आगे का सर्वे बाकी है।

इनकी हालत पिछडे क्षेत्रों से भी बुरी है जो नगर निगम का हिस्सा होने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। देखा जाए तो संवाददाता के अनुसार वार्डों की हालत बद से बदत्तर है जिनमें वार्ड 1,2,,20,21,22 और वार्ड 8 शामिल है वैसे तो गुरूग्राम साइबर सिटी कहलाता है इन वार्डों को देखकर लगता नहीं यह गुरूग्राम का हिस्सा है। सूत्रों के अनुसार गुरूग्राम का नगर निगम प्रदेश में सबसे धनी निगम है जो अपना पैसा ब्याज पर अन्या क्षेत्रों को देता है। लेकिन विकास के नाम पर ना तो नगर निगम का ध्यान दे रहा है और ना ही पार्षद। क्या पार्षद जनता से खिलवाड करने के लिए बने या नगर निगम लूट का धंधा बन चुका है। जहां पार्षद अपनी जेबे भरते है, अगर ऐसा नहीं है तो कहां है निगम का विकास और निगम का पैसा। पार्षदों के वार्डों की हालत ऐसी जहां पर जगह जगह गलियां टूटी है पानी भरा खड़ा जिसमें मच्छर पनप कर बीमारी को न्यौता दे रहे है। आम जनता को आवाजाही में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है यहां की जनता अपने पार्षदों को इन सब के लिए जिम्मेदार बता रही है।

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