11 साल पहले 2013 में प्रयागराज के महाकुंभ में महिला नागा सन्यासी चर्चा में आईं थीं। महिला नागा सन्यासी की नेता दिव्या गिरी ने अपना इष्टदेव बताया था। आइए अब महिला नागा सन्यासी के बारे में जानते हैं।
दिव्या गिरी महिला नागा सन्यासी की नेता हैं। उन्होंने इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ एंड हाइजिन नई दिल्ली से मेडिकल टेक्नीशियन की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद साल 2004 में महिला नागा साधु बन गईं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार तब वो कुछ अलग करना चाहती थीं। उन्होंने बताया था कि जूना अखाड़े के ईष्टदेव भगवान दत्तात्रेय हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने अपना ईष्टदेव दत्तात्रेय की मां अनुसूइया को बनाने की बात कही थीं।
6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का करना होता है पालन
महिला नागा साधु बनने के लिए 6 से 12 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। जो महिला ऐसा करती हैं, उन्हें उनके गुरु नागा साधु बनने की अनुमति दे देते हैं। कुंभ और महाकुंभ में पुरुष नागा साधुओं को तो सार्वजनिक तौर पर नग्न होने की इजाजत है, लेकिन महिला साधु ऐसा नहीं कर सकतीं। ऐसी इजाजत बस एक ही महिला नागा साधु को मिली थी, जिनका नाम साधु ब्रह्मा गिरी था,जो हमेशा बिना कपड़े के रहती थीं।
नेपाल की विदेशी महिलाएं बनीं नाग सन्यासी
भारत के अलावा विदेशी महिलाएं भी नागा साधु काफ संख्या में हैं। बहुत सी महिलाएं नेपाल से आती हैं, जो नागा साधु बन गईं। नेपाल में ऊंची जाति की विधवाओं के दोबारा शादी करने को समाज स्वीकार नहीं करता है। ऐसे में ये विधवा महिलाएं अपने घर लौटने के बजाए साधु बन जाती हैं।