नई दिल्ली : देशभर में हर्बल औषधियों को लेकर एक हर्ब, एक स्टेंडर्ड को लागू करने की दिशा में आयुष मंत्रालय ने एक बड़ा कदम आगे बढाया है। आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा के मौजूदगी में आईपीसी और पीसीआईएमएच के निदेशकों के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते के तहत वैज्ञानिक तौर पर मानक स्थापित किए जाएंगे। पीसीआइएमएच के निदेशक और प्रभारी प्रोफेसर वैद्य पीके प्रजापति और सचिव व वैज्ञानिक निदेशक राजीव सिंह रघुवंशी ने समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किया।हर्बल स्टेंडर्ड का यह सामंजस्य “एक हर्बल, एक स्टेंडर्ड और एक राष्ट्र” को पूरा करेगा और हर्बल औषधियों के व्यापार को और सुलभ करेगा। इस अवसर पर इंडियन फार्माकोपिया कमीशन के सचिव व वैज्ञानिक निदेशक राजीव सिंह रघुवंशी ने कहा कि इस समझौता से आयुष से जुड़े दवा उत्पादकों, शोधकर्ताओं और अन्य भागीदारों के लिए काफी आसानी होगी। पीसीआइएमएच के निदेशक और प्रभारी प्रोफेसर वैद्य पीके प्रजापति ने कहा कि आज हम एक और मील का पत्थर साबित करने जा रहे हैं। आज के इस एमओयू के बाद हम ऐसा मोनोग्राफ बनाएंगे जिससे सभी को फायदा होगा। आयुष मंत्रालय के सचिव डॉ राजेश कोटेचा ने कहा कि इस समझौता पत्र का प्राथमिक उदे्श्यू जन स्वास्थ्य को बढावा देने के लिए हर्बल दवाओं के स्टेंडर्ड को एक करना है। जिसके लिए दोनों संस्थाओं में आपसी सहयोग को बढावा देना जरूरी है। एक हर्ब एक स्टेंडर्ड नहीं होने से चिकित्सकों और दवा निर्माताओं में इसे लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है। अब दोनों ही संस्थाएं इस भ्रम की स्थिति को दूर करने के लिए कार्य करेंगी ताकि भारतीय हर्बल को और अधिक लोकप्रिय किया जा सके। हर्बल दवाओं के अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता की जरुरतों को देखते हुए अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी विश्वसनीयता बढाने में इंडियन फार्माकोपिया की एकरुपता काफी मददगार साबित होगी।एमओयू के अंर्तगत क्या होगादोनों ही मंत्रालयों के फार्माकोपिया के आपसी सहयोग से परंपरागत दवाओं के मानकीकरण के लिए सूचनाओं का आदान प्रदान करना, दवा व कच्चे माल, अर्क आदि को लेकर संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, प्रशिक्षण और विचार-मंथन के माध्यम से नए शोधों और वैज्ञानिक जानकारी का आदान प्रदान किया जा सकेगा। इस समझौता ज्ञापन के तहत औषधीय पौधों और उनके घटक मार्करों के चयन के लिए एक हर्बल, एक स्टेंडर्ड के तहत और अन्य संबंधित तकनीकी कार्य करने के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया जाएगा। दोनों पक्ष अपने डेटा को समान फार्माकोपिया के रुप में प्रकाशित करने पर सहमत हुए हैं। मोनोग्राफ की तकनीकी सामग्री को पीसीआईएम एंड एच और आईपीसी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा। इसलिए इन मोनोग्राफ की वही कानूनी वैधता होगी जो एएसयू एंड एच फार्माकोपिया और आईपी में प्रकाशित हुई होने पर होती है। “एक हर्बल-एक स्टेंडर्ड” के तहत वर्गीकृत मोनोग्राफ के प्रकाशन का एकमात्र अधिकार केवल पीसीआईएम और एच के पास होगा। पीसीआईएम एंड एच और आईपीसी द्वारा विकसित एमओयू के अनुसार मोनोग्राफ की पहचान तदनुसार की जाएगी संबंधित मोनोग्राफ में आईपीसी का योगदान होगा उपयुक्त स्थान पर पहचाना जाए।