गुरूग्राम, आदमपुर में चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे ही नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। सभी दलों की ओर से जीत का दावा किया जा रहा है। ऐसे में कांग्रेस और भाजपा आदमपुर उपचुनाव को 2024 के विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रही है। आदमपुर में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रचार की कमान संभाली हुई है और लगातार भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी पर हमला बोल रहे है कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेताओं से लेकर जिला स्तरीय सभी कार्यकत्र्ता अपने प्रत्याशी को जितानेे के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे है भूपेंदर सिंह हूडा ने तो साफ तौर पर कह दिया है की आदमपुर का यह चुनाव 2024 के चुनाव की दिशा तय करेगा। आपको बता दे की आदमपुर चुनाव में बीजेपी ने कुलदीप विश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को अपना प्रत्याशी बनाया है तो वही कांग्रेस ने जय प्रकाश जेपी ,और इनेलो ने कुरड़ा राम , और आम आदमी पार्टी ने सतेंदर सिंह को चुनावी मैदान में उतरा है इन सभी पार्टियों के वरिष्ठ नेताआं ने अपने प्रत्याशी को जिताने के अपनी पूरी ताकत लगा दी है लेकिन इसका परिणाम क्या होगा ये तो आने वाले 6 नवम्बर पता चलेगा बीजेपी गौरतलब है कि ये सीट शुरु से ही चौधरी भजनलाल की रही है लेकिन कांग्रेस में शामिल होने के बाद कुलदीप विश्नोई ने यहाँ चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की थी लेकिन आपसी खींचतान के बाद उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दे दिया ,ऐसे में कुलदीप विश्नाई ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया है उसके बाद से ये सीट खाली है और आज यहाँ उपचुनाव हो रहा है बीजेपी और जेजेपी ने कुलदीप विश्नोई के बेटे भव्य विश्नोई को चुनावी मैदान में उतारा है कांग्रेस अब ऐसे में कयास ये लगाए जा रहे है ये सीट कहीं न कही कांग्रेस के खाते में जा सकती है क्योंकि इस सीट पर आज तक बीजेपी के किसी भी प्रत्याशी ने जीत दर्ज नहीं कर पाई । अगर ये अनुमान सच साबित होता है तो आने वाले 2024 में बीजेपी को भारी नुकसान हो सकता है वही दूसरी तरफ कांग्रेस से भूपेंद्र सिंह हूडा ,दीपेंदर हुडा ,उदय भान जितेंदर भारद्वाज ,अमित भारद्वाज समेत कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए जी तोड़ मेहनत रहे है इन सभी तैयारियों को देखते हुए यही अंदाजा लगाया जा सकता है आदमपुर का चुनावी मुकाबला बड़ा ही दिलचस्प होने वाला है, इस उपचुनाव पर आदमपुर की नहीं अपितु पूरे प्रदेश की जनता नजरे बनाएं हुए है। यह तो यहां की जनता पर ही निर्भर करता है वह किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है, कौन उनके लिए सही क्यांेकि जनता भी अपने अधिकारों के प्रति काफी जागरूक हो चुकी है।
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