आगरा शहर के इतिहासकार राज किशोर राजे द्वारा दायर एक आरटीआई के आधार पर दायर की गई है।
दक्षिणपंथी संगठन अखिल भारत हिंदू महासभा ने ताज महल में ‘उर्स’ के खिलाफ आगरा की अदालत में याचिका दायर की है। समूह ने भारत के सबसे प्रसिद्ध स्मारक पर उर्स के आयोजन के खिलाफ निषेधाज्ञा की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है।निषेधात्मक निषेधाज्ञा एक ऐसा आदेश है। इस आदेश के तहत किसी भी पक्ष को कोई विशेष कार्य करने से बचना होता है।
क्या है उर्स ?
उर्स का अर्थ है सूफी संत की दरगाह (तीर्थ या कब्र) पर आयोजित होने वाली उनकी पुण्य तिथि का कार्यक्रम।अखिल भारत हिंदू महासभा ने स्मारक के अंदर उर्स के लिए निःशुल्क प्रवेश को भी चुनौती दी है। आगरा कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ली है और इस मामले पर 4 मार्च को सुनवाई होगी। इस साल स्मारक पर उर्स 6 फरवरी से 8 फरवरी के बीच होगा।
याचिका संस्था के जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा ने दायर की है। उन्होंने उर्स मनाने वाली समिति के खिलाफ यथास्थित बनाए रखने की मांग की है। याचिकाकर्ता ने ताजमहल में उर्स के लिए मुफ्त प्रवेश पर भी आपत्ति जताई है। उनके वकील ने एक न्यूज एजेंसी को यह बात बताया। हिंदू महासभा के प्रवक्ता संजय जाट ने दावा किया कि न तो मुगलों और न ही अंग्रेजों ने ताज महल परिसर के अंदर उर्स की इजाजत दी।
इतिहासकार के आरटीआई के आधार पर याचिका दायर
कोर्ट में यह याचिका आगरा शहर के इतिहासकार राज किशोर राजे द्वारा दायर एक आरटीआई के आधार पर दायर की गई है। आरटीआई में उन्होंने एएसआई (ASI) से पूछा कि “ ताज महल परिसर में ‘उर्स’ समारोह और ‘नमाज’ की अनुमति किसने दी। एएसआई ने जवाब दिया ”न तो मुगलों, न ही ब्रिटिश सरकार या भारत सरकार ने ताजमहल में ‘उर्स’ मनाने की अनुमति दी है।”
इसलिए रोक की मांग
हिंदू महासभा के प्रवक्ता संजय जाट ने आगे बताया। इतिहासकार राजकिशोर राजे के आरटीआई के जवाब के आधार पर हमने सैय्यद इब्राहिम जैदी की अध्यक्षता वाली शाहजहां ‘उर्स’ उत्सव समिति के आयोजकों को ताजमहल में ‘उर्स’ मनाने से रोकने के लिए निषेधाज्ञा की मांग करते हुए एक याचिका दायर की है। ताजमहल का निर्माण 1653 में मुगल बादशाह शाहजहाँ ने करवाया था। वाराणसी की एक अदालत द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद के एक तहखाने के अंदर हिंदू प्रार्थनाओं की अनुमति देने के कुछ दिनों बाद यह मामला सामने आया है।