गुरुग्राम। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ हरियाणा वासियों को सरल व सुगम माध्यम से सरकारी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए शुरू की गई परिवार पहचान पत्र योजना का अब धरातल पर असर दिखने लगा है। उपायुक्त निशांत कुमार यादव कहते हैं कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल के मार्गदर्शन में प्रदेश में जब से सरकार की यह फ्लैगशिप योजना शुरू हुई है, तब से आयु व आय के निर्धारित मापदंडों को पूरा करने वाले बुजर्गों की परिवार पहचान पत्र के माध्यम से अब वृद्धावस्था सम्मान पेंशन ऑटो मोड में बनने लगी है। जिला गुरुग्राम में 226 बुजुर्गों की पेंशन इसी सिस्टम के माध्यम से बन चुकी है। जिला समाज कल्याण अधिकारी जितेंद्र ढिल्लों ने का कहना है कि परिवार पहचान पत्र के तहत जिनकी उम्र 60 साल हो गई है। जिन पति-पत्नी की सालाना इनकम दो लाख रुपये से कम है, उनका डेटा क्रीड की तरफ से ऑटोमेटिक तरीके से सामाजिक न्याय विभाग को भेज दिया जाता है। परिवार पहचान पत्र में जैसे ही बुजुर्ग की उम्र 60 वर्ष होती हैं, उसी समय विभाग को क्रीड की ओर से सूची मिल जाती है। विभाग संबंधित लाभार्थी के पास जाकर उसकी सहमति लेता है। अगर वह सहमति देता है तो उसके बाद पेंशन शुरू कर दी जाती है। इस प्रक्रिया के तहत जिला समाज कल्याण विभाग के पास मुुख्यालय से 313 ऐसे पात्रों की सूची पहुंची है, जिनकी पेंशन बननी है। इनमें से जिले के 226 बुजुुर्गों की पेंशन बन भी चुकी है। जिन बुजुर्गों की घर बैठे पेंशन बनी है, इसमें हेलीमंडी निवासी अशोक कुमार कत्याल बताते हैं कि इस वर्ष मई माह में उनकी 60 वर्ष आयु पूरी हुई है। वे वृद्धावस्था पेंशन के लिए आवेदन करने की सोच रहे थे। समाज कल्याण विभाग के कर्मचारियों ने उनसे संपर्क किया और कहा कि कुछ कागजी कार्रवाई के लिए आपके घर आएंगे। उन्होंने बताया कि अगले ही दिन वे कर्मचारी घर आकर उनका सहमति पत्र सहित बैंकिंग डिटेल्स लेकर चले गए। कुछ दिन बाद ही जुलाई माह में उनके बैंक खाते में उनकी पेंशन आ गयी। हेलीमंडी निवासी गजराज यादव ने कहा कि कभी बुजुर्गों के सम्मान स्वरूप शुरू हुई इस योजना को यदि किसी ने सार्थक दिशा दी है तो वे केवल मुख्यमंत्री मनोहर लाल ही हैं। जिन्होंने बुजुर्गों का मान रखते हुए परिवार पहचान पत्र के माध्यम से घर बैठे ही उनकी पेंशन बना दी। जून माह से इस योजना का लाभ ले रही गांव पथरेड़ी निवासी माया देवी कहती है कि 60 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद पेंशन के लिए सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाना एक जटिल व बोझिल प्रक्रिया थी। जिसे परिवार पहचान पत्र ने बेहद आसान बना दिया है।