गुरुग्राम ब्रह्माकुमारीज एक खुली किताब की तरह है। संस्था विश्व परिवर्तन के भगीरथ कार्य करने के निमित्त बनी है। आध्यात्मिकता ही मन को सच्ची शांति प्रदान कर सकती है। एक शांत मन ही कार्य को बेहतर ढंग से कर सकता है। उक्त विचार प्रदेश के महामहिम राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रविवार को धार्मिक संस्था ब्रह्माकुमारीज के गुरुग्राम स्थित ओम शांति रिट्रीट (ओआरसी) सेंटर में संस्था के ब्रह्मा बाबा के स्मृति दिवस के उपलक्ष्य में लेगसी ऑफ ब्रह्मा बाबा विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि यहां आकर मुझे जीवन की गहराई को जानने का मौका मिला। वर्ष 1936 में ब्रह्मा बाबा ने आंतरिक बदलाव का जो एक बीज बोया, वह आज विश्व में एक वट वृक्ष की भांति फैल चुका है। भारतीय पुरातन दैवी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का आधार ब्रह्मा बाबा ने रखा। राज्यपाल ने कहा कि मन को सच्ची शांति प्रदान कर सकती है। एक शांत मन ही कार्य को बेहतर ढंग से कर सकता है। मन ही सबसे बड़ी शक्ति है। मन को सकारात्मक और श्रेष्ठ दिशा प्रदान करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। मन को पवित्र करना ही सबसे बड़ी साधना है। उन्होंने संस्था के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संस्था द्वारा सिखाए जा रहे राजयोग की बहुत जरुत है। नारी शक्ति बहुत महान है। इसलिए ब्रह्मा बाबा ने नारी शक्ति को प्रधानता दी। केंद्र की निदेशिका आशा दीदी ने कहा कि ब्रह्मा बाबा गुरु नहीं थे, अपितु हम सबके अलौकिक पिता थे। ब्रह्मा बाबा ही वो माध्यम हैं, जिनके द्वारा परमात्मा ने सतयुगी दुनिया की स्थापना की। बीके शुक्ला ने कहा कि ब्रह्मा बाबा वास्तव में दधीचि ऋषि की तरह थे। उन्होंने मानवता की सेवा में अपना सर्वस्व समर्पण कर दिया था। कार्यक्रम को बीके पुष्पा, शिव कुमार, मधु, वर्णिका, हुसैन, मोनिका, लक्ष्मी एवं बीके सुरेंद्र आदि ने भी संबोधित किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी कलाकारों ने भव्य रुप से किया। इस कार्यक्रम में संस्था से जुड़े असंख्य लोगों ने भाग लिया।
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